

रूद्रपुर। सरकार बनाम जनप्रतिनिधि की जंग में जीत आखिरकार लोकतंत्र की हुई। 2 मई को जारी उस विवादित शासनादेश को शहरी विकास विभाग ने निरस्त कर दिया है, जिसमें नगर निकायों की टेंडर समितियों से मेयरों और पालिकाध्यक्षों को बाहर कर दिया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हस्तक्षेप के बाद अब पुरानी व्यवस्था को बहाल कर दिया गया है, जिससे मेयर और अध्यक्ष फिर से टेंडर कमेटियों में शामिल रहेंगे।
इससे पहले शासन ने निर्माण कार्यों और सामग्री की खरीद जैसे फैसलों के लिए गठित समितियों से चुने हुए जनप्रतिनिधियों को बाहर कर, सिर्फ अधिकारी वर्ग को समिति में रखा था। इसका जोरदार विरोध हुआ, और रूद्रपुर के मेयर विकास शर्मा की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से देहरादून में मिलकर जनप्रतिनिधियों के अधिकारों की रक्षा की मांग की।
मुख्यमंत्री धामी ने जनता और जनप्रतिनिधियों की भावना को समझते हुए तुरंत प्रभाव से नया शासनादेश जारी करवाया। अब 2014 की पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी, जिसमें मेयर और अध्यक्ष भी टेंडर कमेटियों का हिस्सा होंगे।
मेयर विकास शर्मा ने इसे “जनभावनाओं की जीत” बताया और मुख्यमंत्री का आभार जताते हुए कहा कि यह फैसला जनप्रतिनिधियों के सम्मान की रक्षा करता है।