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कुमायूं रेंज में बना एसओटीएफ, भ्रष्टाचार और ड्रग्स के खिलाफ बड़ी पहल

राजेश सरकार

हल्द्वानी: जब पुलिस ही शिकायत पर कार्रवाई न करे, और अपराधियों से साठगांठ कर ले तब लोकतंत्र की रीढ़ कांपती है। लेकिन हल्द्वानी से आई एक बड़ी खबर बताती है कि शायद अब कुछ बदलेगा। शायद अब शिकायतें सिर्फ कागज़ पर नहीं रहेंगी। शायद अब एक उम्मीद बचेगी। उत्तराखंड के कुमायूं रेंज में पुलिस महानिरीक्षक श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसे अगर सही तरीके से लागू किया गया, तो यह सिर्फ एक पुलिस ऑपरेशन नहीं, एक सिस्टम को खुद पर नज़र रखने की पहल होगी।
आईजी कुमायूं ने स्पेशल ऑपरेशन टास्क फोर्स (एसओटीएफ) का गठन किया है। सुनने में ये नाम किसी फिल्मी दस्ते जैसा लग सकता है, लेकिन काम असली ज़मीनी है ड्रग्स के अवैध धंधे, संगठित अपराध और खुद पुलिस की मिलीभगत से हो रहे भ्रष्टाचार की जाँच करना।
एसओटीएफ टीम पूरे कुमायूं रेंज के लिए बनी है जिसमें नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत जैसे ज़िले आते हैं। इस टास्क फोर्स में उन्हीं पुलिसकर्मियों को चुना गया है, जो स्वेच्छा से इस मिशन में शामिल होना चाहते थे यानी जिनके मन में ज़रा भी हिचक थी, उन्हें बाहर रखा गया। य़ह टीम सीधे आईजी रिद्धिम अग्रवाल को रिपोर्ट करेगी और आम शिकायतों की बजाय, केवल संगठित अपराध, ड्रग्स माफिया, और पुलिस की संलिप्तता जैसे गंभीर मामलों पर काम करेगी। खुद आईजी रिद्धिम अग्रवाल कहती है कि यदि एसओटीएफ की कार्रवाई में कोई पुलिसकर्मी संलिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई की जाएगी। उनका कहना था कि यह सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक इंतज़ार करती हुई कार्रवाई का एलान है। बताया कि शिकायत के लिए हैल्पलाइन नंबर 9411110057 जारी किया गया है, कोई भी नागरिक इस नंबर पर अवैध ड्रग्स व्यापार, संगठित अपराध, और पुलिस की मिलीभगत की जानकारी दे सकता है शिकायतकर्ता का नाम और पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
गौरतलब है कि कुमायूं में स्कूल और कॉलेजों के आसपास नशे का कारोबार तेज़ है। नशे का जाल पहले बच्चों को अपनी गिरफ्त में लेता है, फिर समाज के भविष्य को खत्म कर देता है। ऐसे में एसओटीएफ का गठन, आने वाले वर्षों में समाज को दिशा देने वाला फैसला साबित हो सकता है अगर इसे केवल कागज़ की कार्रवाई न बनने दिया जाए। कुल मिलाकर ये सिर्फ एक टास्क फोर्स नहीं है, ये पुलिस पर पहली बार पुलिस की नज़र है। अब देखना है कि ये नज़र कितनी साफ है, और कितनी देर तक बनी रहती है। क्योंकि हर सुधार की उम्र, उसके साहस और ईमानदारी पर टिकी होती है।

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