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हल्द्वानी: हल्द्वानी के रामलीला मैदान में रविवार को राजनीति के साथ-साथ देशभक्ति का एक अद्भुत संगम देखने को मिला। कांग्रेस पार्टी ने ‘जय हिंद सभा’ के ज़रिए भारतीय सेना के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ को समर्पित एक आयोजन किया नाम से ही मालूम पड़ता है कि मामला सिर्फ नारों तक सीमित नहीं था, बल्कि कुछ कहने और जताने का प्रयास भी था। इस सभा में कांग्रेस के बड़े नेता जुटे थे। करण माहरा, हरीश रावत, यशपाल आर्य, काजी निजामुद्दीन, रोहित चौधरी और हल्द्वानी के विधायक सुमित हृदयेश सब मौजूद थे। मंच पर पूर्व सैनिकों को भी जगह मिली, जिससे लगा कि इस बार कांग्रेस ने सिर्फ अपनी पार्टी का कार्यक्रम नहीं किया, बल्कि फौज के सम्मान की भी बात की।
नेताओं ने कहा ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना की वीरता की मिसाल है, और इसीलिए ये सभा आयोजित की गई। लेकिन जैसे ही बात सम्मान से राजनीति की ओर मुड़ी, तो भाजपा पर आरोपों की बौछार शुरू हो गई। कहा गया कि भाजपा सेना के नाम पर सियासत करती है। चुनावी लाभ के लिए जवानों के बलिदान को कैश किया जाता है।
सभा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तस्वीर का मज़ाक उड़ाया गया। अब ये अमेरिका से हल्द्वानी कैसे जुड़ गया? कांग्रेस नेताओं का कहना था कि सीजफायर की घोषणा ट्रम्प पहले कर देते हैं, और भारत के ऑपरेशन की खबर पहले से अमेरिका को थी। सवाल उठाया गया क्या हमारी संप्रभुता अब व्हाइट हाउस की टेबल पर तय होती है?
ये वही सवाल हैं जो संसद में नहीं, सड़कों और सभाओं में पूछे जा रहे हैं। और जवाब? सरकार की ओर से अब तक सन्नाटा।
सभा में जोश और उत्साह दिखाई दिया। कुमाऊं मंडल से कार्यकर्ताओं का भारी जमावड़ा इस बात का संकेत था कि कांग्रेस भले केंद्र में सत्ता से दूर हो, लेकिन ज़मीन पर मौजूद है, और मौके का इस्तेमाल कर रही है।
अब देखना ये होगा कि सेना के सम्मान की ये आवाज़, राजनीति के शोर में गुम हो जाती है या आने वाले चुनावों में कोई नई दिशा देती है।

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