

संजय रावत
कालाढूंगी: उत्तराखंड में वन भूमि अब भू-माफियाओं के लिए सोने की चिड़ीया साबित हो रही है। छोटे से राजस्व भूमि का कागजी खेल कर भू-माफिया आसानी से लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे हैं, और इसमें वन विभाग की पूरी अनदेखी हो रही है। ताजा मामला नैनीताल के कालाढूंगी तहसील के चूनाखान का है, जहां वन विभाग की तीन बीघा ज़मीन खुलेआम बिक रही है, और वो भी फॉरेस्ट चौकी के बिलकुल सामने। हां, आपने सही सुना, विभाग को इसकी भनक तक नहीं है!
साल 2018 में हल्द्वानी निवासी पवन गुप्ता ने बेल पढ़ाव की सुनीता देवी से तीन बीघा राजस्व भूमि खरीदी, और उस पर नजदीकी वन विभाग की ज़मीन पर कब्जा कर लिया। इसके बाद पवन गुप्ता ने इसे सोशल मीडिया पर बेचने के लिए प्रचारित किया। हल्द्वानी के कौशल अग्रवाल ने इस ज़मीन को 1.15 करोड़ रुपये में खरीदने का सौदा किया और पवन को 40 लाख रुपये एडवांस दे दिए। लेकिन, पवन के नाम जब ज़मीन खतौनी में नहीं चढ़ी तो कौशल को न तो उसकी रकम वापस मिली और न ही ज़मीन पर कब्जा।
पवन ने फिर इस ज़मीन को 15 जनवरी 2025 में प्रेमा देवी और हरजीत कौर के नाम रजिस्ट्री कर दी और बाउंड्री का काम भी शुरू करवा दिया। लेकिन जब कौशल को इसका पता चला, तो उसने दाखिल-खारिज पर रोक लगवा दी। अब सवाल ये उठता है कि 2018 से 2025 तक यह खुलेआम लूट होती रही, और वन विभाग को इसकी कोई जानकारी क्यों नहीं हुई?
कालाढूंगी की तहसीलदार मनीषा भट्ट का कहना था कि यह ज़मीन वन विभाग की है और चार दीवारी का काम रुकवाया गया है। वहीं, डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य का कहना था कि अगर यह ज़मीन वन विभाग की है, तो इसे कब्जे में ले लिया जाएगा।
खैर, अब देखना यह होगा कि इस ज़मीन की जांच कब और कैसे होगी, और क्या वन विभाग इस खुले खेल को रोक पाएगा या नहीं।
कौन है पवन, जो बेच रहा है सरकारी जमीन
हल्द्वानी का पवन गुप्ता, जो कभी सदर बाजार में बैग बेचता था, अब विवादित संपत्तियों का कथित मालिक बन चुका है। उसकी व्यापारिक यात्रा की शुरुआत कमेटी डालने से हुई, जिससे उसने जल्द ही व्यापार जगत में मजबूत पकड़ बना ली। पवन का उद्देश्य हमेशा से जल्द अमीर बनने का था और इसके लिए उसने किसी भी हद तक जाने की तैयारी की। आज पवन कई विवादित संपत्तियों का मालिक बन चुका है, और उसकी संपत्तियों की पड़ताल जारी है।





