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थमने का नाम नहीं ले रहा है पूर्व विधायक और मौजूदा विधायक के बीच का विवाद
देहरादून: खानपुर के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह और मौजूदा विधायक उमेश कुमार के बीच चल रहे विवाद ने पुलिस प्रशासन के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। 2022 से चल रहे इस विवाद ने अब हिंसक रूप ले लिया है, जिसके कारण 4 फरवरी को गुर्जर समाज द्वारा आंदोलन की चेतावनी दी गई है। इस घटना से पुलिस प्रशासन की टेंशन और बढ़ गई है, खासकर जब गुर्जर समाज के लोग विभिन्न राज्यों से लंढौरा पहुंच गए हैं और समान कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

चुनाव के बाद से जारी है जुबानी जंग
विधानसभा चुनाव 2022 के बाद से दोनों नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई थी। 25 जनवरी को विधायक उमेश कुमार ने कुंवर प्रणव सिंह पर सोशल मीडिया के माध्यम से अभद्र टिप्पणी करने का आरोप लगाया था। इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह ने विधायक उमेश कुमार के कार्यालय में सरेआम फायरिंग कर दी, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

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पुलिस की कार्रवाई और विरोध
पुलिस ने दोनों पक्षों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया और दोनों नेताओं के समर्थकों को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया। पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह को जेल भेज दिया गया, जबकि विधायक उमेश कुमार को बेल मिल गई। इस कार्रवाई को लेकर देशभर के गुर्जर समाज और चैंपियन समर्थकों में रोष फैल गया, और 29 जनवरी को लक्सर में महापंचायत का आयोजन किया गया।

महापंचायत के बावजूद पुलिस की कार्रवाई
हालांकि, चैंपियन ने अपनी पत्नी के जरिए महापंचायत न करने की अपील की थी, फिर भी गुर्जर समाज के लोग लंढौरा पहुंचे। पुलिस ने स्थिति को काबू में रखने के लिए 80 लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की, जिसमें 40 लोग विधायक उमेश कुमार के पक्ष से और 40 लोग कुंवर प्रणव सिंह के पक्ष से थे। इस कदम पर सवाल उठाए जा रहे हैं क्योंकि महापंचायत में लंढौरा के लोग शामिल नहीं थे।

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आंदोलन की चेतावनी और पुलिस की मुश्किलें
गुर्जर नेताओं ने पुलिस प्रशासन को 4 फरवरी को बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है, लेकिन पुलिस को इस आंदोलन के स्थान के बारे में जानकारी नहीं दी गई है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। पुलिस को यह देखना होगा कि इस विवाद को शांत करने और आगे बढ़ने से पहले वह किस प्रकार से शांति व्यवस्था बनाए रखती है।

सवाल पुलिस की कार्यप्रणाली पर
लंढौरा में पुलिस ने महापंचायत से संबंधित 80 लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई की है, लेकिन स्थानीय लोगों के शामिल न होने के बावजूद इस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। अब यह देखना बाकी है कि पुलिस प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे को कैसे संभालता है।

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