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हल्द्वानी। पूर्व सैनिक शिक्षक एसोसिएशन के तत्वाधान में मंगलवार को एमआईटी लमाचौड़ में 45 बच्चों को सहज योग के द्वारा कुंडलनी जागरण की विधि एवम अभ्यास कराया गया। इसके साथ ही मानव शरीर के अंदर तीनों नाड़ियों के बारे मैं और इनको सही स्वस्थ रखने तथा तंदुरस्थ और मानसिक रूप से मजबूत रहने के लिए रोज अभ्यास करने के तरीके बताए। विशेषज्ञों ने बताया कि हर व्यक्ति के सिर के ऊपर (आध्यात्मिक आँख और मुकुट चक्र) एक सकारात्मक चुम्बक होता है, जो हमारी चेतना को ईश्वर के साथ हमारी सहज एकता को ऊपर की ओर खींचता है। साथ ही रीढ़ की हड्डी के आधार पर एक चुम्बक होता है जो हमें नकारात्मकता, स्वार्थ और अज्ञानता की ओर खींचता है। रीढ़ की हड्डी के आधार पर केन्द्रित कुंडलिनी ऊर्जा, हमारी चेतना का बाहरी जोर है जो पदार्थ के साथ पहचानी जाती है। ऊर्जा का यह भंडार ही है जो ध्यान करते समय हमारे मन को खींचता है। विशेषज्ञों के अनुसार कुंडलिनी एक महान शक्ति है, हालांकि, जो आग की तरह है, अगर इसका दुरुपयोग या गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह बेहद हानिकारक हो सकती है।

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