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देहरादून: विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर डाॅ सुजाता संजय द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इस सेमीनार में 40 से अधिक मेडिकल छात्रों और नर्सों ने भाग लिया।
इस वेबिनार की मुख्य वक्ता, 100 सशक्त महिलाओं में से एक एवं महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा सम्मानित स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाॅ सुजाता संजय ने सरवाइकल कैंसर के बारे में अपने विचार व्यक्त किए।
सरवाइकल कैंसर और इसके कारण
सरवाइकल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं। हालांकि कैंसर किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ खास प्रकार के कैंसर केवल स्त्रियों को ही होते हैं, जिनमें से एक है गर्भाशय का कैंसर, जिसे सरवाइकल कैंसर कहा जाता है। यह भारतीय महिलाओं में सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है और यह बच्चेदानी या गर्भाशय के मुंह की कोशिकाओं में विकसित होता है।
डाॅ सुजाता संजय ने कहा कि सरवाइकल कैंसर उन महिलाओं में ज्यादा देखा गया है जो कम उम्र में यौन संबंध बनाना शुरू कर देती हैं, एक से अधिक साथी के साथ असुरक्षित सेक्स करती हैं और सेक्स के प्रति बहुत अधिक सक्रिय होती हैं। कैंसर एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जिसमें शरीर की स्वस्थ कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और एक घातक ट्यूमर का रूप ले सकती हैं।
आवश्यक जांच और टीकाकरण
डाॅ सुजाता संजय ने व्याख्यान के दौरान बताया कि बच्चेदानी के मुंह के कैंसर का प्रारंभिक अवस्था में निदान और उपचार संभव है। इसके लिए पैप टेस्ट और वी.आई.ए. जैसी साधारण स्क्रीनिंग तकनीक से तुरंत परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। सभी यौन सक्रिय महिलाओं और रजोनिवृत्त महिलाओं को प्रतिवर्ष अपनी जांच करानी चाहिए। इसके अलावा, परिवार की किशोर युवतियों और अविवाहित युवतियों का एच.पी.वी. टीकाकरण कराना चाहिए, जो सरवाइकल कैंसर से बचाव में सहायक हो सकता है।
कैंसर के सामान्य लक्षण
मासिक धर्म में बदलाव, खासकर गर्भाशय या अंडाशय के कैंसर के संकेत हो सकते हैं।
स्तन में किसी भी प्रकार की गांठ या सूजन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह स्तन कैंसर का संकेत हो सकता है।
बिना स्पष्ट कारण के असामान्य दर्द या थकावट महसूस होना, खासकर पीठ, पेट या हड्डियों में दर्द, लिवर या हड्डियों के कैंसर का संकेत हो सकता है।
शरीर में वजन में बिना किसी बदलाव के कमी, खासकर पैंक्रियास, पेट या फेफड़े के कैंसर में।
खांसी का लंबे समय तक रहना या आवाज में बदलाव आना, जो फेफड़े के कैंसर का संकेत हो सकता है।
समाज में कैंसर के प्रति जागरूकता
सेवा सोसाइटी के सचिव डाॅ प्रतीक ने कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने की मुहिम की सराहना की और यह माना कि कैंसर के लिए प्राथमिक जांच करना बहुत ही महत्वपूर्ण है, ताकि बीमारी के पहले चरण में ही उसका इलाज संभव हो सके।