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हल्द्वानी: मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोगों की संख्या देशभर में तेजी से बढ़ रही है, और उत्तराखंड भी इससे अछूता नहीं है। राज्य की बढ़ती जनसंख्या में खासकर युवाओं में एंजायटी, डिप्रेशन और अन्य मानसिक समस्याएं तेजी से फैल रही हैं। इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए उत्तराखंड सरकार ने 2019 में मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया था, और अब राज्य का पहला राजकीय नशा मुक्ति केंद्र हल्द्वानी में खुलने जा रहा है। हालांकि देर से ही सही राज्य सरकार ने प्रदेश में बड़ती मानसिक रोगियों की सुध लेने की जहमत तो उठाई। लेकिन ज्यादा बेहतर होता यदि इसका संचालन सरकारी स्तर से किया जाता पर सरकार ने इसके संचालन का जिम्मा दिल्ली की स्वैच्छिक संस्था सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ यूथ एंड मासेज के हवाले कर दिया। इतना ही नहीं हल्द्वानी के आरटीओ रोड़ के पांडे नवाड़ में खुलने जा रहे नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों की संख्या 30 तक सीमित कर दी गई है जो बड़ते मानसिक रोगियों की संख्या के आगे ऊंट के मुँह में जीरे के सामान है।

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नशा मुक्ति केंद्रों के लिए सख्त दिशा-निर्देश

इस केंद्र में मानसिक रोगियों को बंधक बनाए रखने की अनुमति नहीं होगी। मरीजों का इलाज डॉक्टर के परामर्श पर होगा, और डिस्चार्ज भी उसी के आधार पर किया जाएगा। केंद्र में मरीजों के लिए एक ठहरने और खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, मानसिक रोगियों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक और डॉक्टर की उपस्थिति जरूरी होगी।

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नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई

मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा का प्रावधान रखा गया है। पहली बार उल्लंघन पर 5 हजार से 50 हजार तक जुर्माना, बार-बार उल्लंघन पर जुर्माना 5 लाख तक हो सकता है। इसके अलावा, बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित संस्थानों पर 25 हजार रुपए का जुर्माना और गंभीर उल्लंघन पर 6 माह की जेल भी हो सकती है।

जिलों के मानसिक स्वास्थ्य केंद्र

उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों और संस्थानों का रजिस्ट्रेशन किया गया है। देहरादून, चंपावत, हरिद्वार, उधमसिंह नगर, नैनीताल और अन्य जिलों में सरकारी मानसिक स्वास्थ्य केंद्र कार्यरत हैं।

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