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सुप्रीम आदेश के बाद उत्तराखंड में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति की कवायद हुई तेज

देहरादून: प्रदेश के पुलिस विभाग को जल्द ही स्थायी डीजीपी मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उत्तराखंड को स्थायी डीजीपी नियुक्त नहीं करने को लेकर जारी नोटिस के बाद प्रदेश सरकार ने ज़वाब देने से बचने के लिए नए डीजीपी के नियुक्ति की कवायद शुरू कर दी है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा संघ लोक सेवा आयोग को भेजी गई सात आईपीएस अफसरों की सूची में प्रभारी डीजीपी अभिनव कुमार का नाम सूची से गायब है।
उत्तराखंड में स्थायी डीजीपी का नाम लगभग तय हो चुका है। 30 नवंबर 2023 को वर्ष 1996 बैच के आईपीएस अभिनव कुमार को प्रभारी डीजीपी बनाए जाने के बाद राज्य सरकार ने उन सभी सात आईपीएस अफसरों की सूची संघ लोक सेवा आयोग को भेजी थी जिन्होंने 25 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है। बीती 30 सितंबर को इनकी डीपीसी हुई, जिसमें वर्ष 1995 बैच के आईपीएस दीपम सेठ और पीवीके प्रसाद तथा वर्ष 1997 बैच के आईपीएस अमित सिन्हा का नाम शामिल है। सूत्रों की माने तो मौजूदा प्रभारी डीजीपी अभिनव कुमार का नाम इसमें शामिल नहीं है। अभिनव कुमार को तकनीकी तौर पर यूपी कैडर का अधिकारी होने के कारण डीजीपी बनने की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। प्रदेश के गृह विभाग ने 3 नामों का पैनल मिलने की पुष्टि की है। उधर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड व उड़ीसा समेत उन सभी सात राज्यों को नोटिस जारी किया है जहां स्थायी डीजीपी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह में ज़वाब देने को कहा है। ऐसा माना जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में ज़वाब देने से बचने के लिए धामी सरकार स्थायी डीजीपी की तैनाती कर देगी।

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