आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी सरकार का पहला बजट पेश किया. इस तरह का बजट आम तौर पर भारत में हर पांच साल में पेश किया जाता है. यानि कि हर पांच साल में, केंद्रीय बजट दो बार पेश किया जाता है। पहले आउटगॉइंग सरकार के अंतरिम बजट के रूप में (फरवरी में) और फिर नई सरकार के पूर्ण बजट के रूप में। सीतारमण ने 1 फरवरी को चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए अंतरिम बजट पेश किया था। बजट में घटक दलों के दबाव का असर साफ दिखाई दे रहा है. वित्तमंत्री मजबूर दिखाई पड़ रहीं हैं। इसलिए बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज या विशेष योजनाओं से जोड़ा गया है। जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार की सामाजिक आर्थिक स्थिति में बहुत अधिक अंतर नहीं है। उत्तर प्रदेश के लिए बजट में कोई विशेष घोषणा नहीं की गई है। इस बजट में उत्तर प्रदेश के किसानों व बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं है। बजट में प्रतिस्पर्धा संघवाद (कम्पटीटिव फेडरलीज्म) और कोपरेटिव संघवाद (कोआपरेटिव फेडरेलीज्म) की भावना नदारद है, जिसकी चर्चा गाहे- बगाहे प्रधानमंत्री करते दिखाई पड़ते हैं। बजट में जहाँ एक तरफ आयकर दाताओं को मामूली राहत देने की घोषणा की गई है, वहीं कैपिटल गेन टैक्स में वृद्धि से राहत वापस कर ली गई। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन को 2 फीसदी बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया गया है। वहीं चुनिंदा असेट्स पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स (STCG) बढ़ा कर 20 फीसदी किया गया है। न्यू टैक्स रिजीम के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट बढ़ा दी है। इसे 50 हजार से बढ़ाकर 75000 रुपये सालाना कर दिया है। स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ ही टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया गया है। न्यू टैक्स रिजीम के तहत नए टैक्स स्लैब के मुताबिक, अगर किसी की इनकम 7 लाख से ज्यादा होती है तो उसे 3 लाख सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। वहीं 3 से 7 लाख सालाना इनकम पर 5 प्रतिशत, 7 से ज्यादा और 10 लाख तक के सालाना इनकम पर 10 प्रतिशत, 10 लाख से ज्यादा और 12 लाख तक की सालाना इनकम पर 15 प्रतिशत, 12 लाख से ज्यादा और 15 लाख तक इनकम पर 20 फीसदी और 12 लाख से ज्यादा सालाना इनकम पर 30 प्रतिशत टैक्स लागू होगा। इन्फ्लेशन को देखते हुए आयकर में छूट से कोई राहत नहीं मिलती प्रतीत होती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाने के साथ ही कैपिटल गेन टैक्स लिमिट भी बढ़ा दी है। अब 1.25 लाख रुपये कैपिटल गेन पर कोई टैक् नहीं देना होगा। पहले ये लिमिट 1 लाख रुपये सालाना थी। यह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन दोनों पर लागू होगा। कैपिटल मार्केट में निवेश करने वाले इस लिमिट को 2 लाख रुपये करने की मांग कर रहे थे। बजट के सकारात्मक पक्ष की बात करें तो बजट में राजकोषिय प्रबंधन में वित्तमंत्री ने अच्छा काम किया है। राजकोषिय घाटे को बजट में सकल घरेलु उत्पाद के 4.9 फीसदी तक रखने का अनुमान व्यक्त किया है। वहीं खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं और कार्यों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है। इससे पहले अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने कृषि के लिए 1.47 लाख करोड़ रूपये का बजट रखा था। अंतरिम बजट में 4 अलग-अलग जातियों-गरीब, महिला, युवा किसान पर ध्यान केद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देने की बात कही गई थी। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ाया गया है। इस बार झींगा उत्पादन और निर्यात पर जोर दिए जाने की बात कही गई है। झींगा पालन और और निर्यात के लिए नाबार्ड द्वारा फंडिंग की जाएगी। किसानों के लिए 32 कृषि और बागवानी में फसलों की 109 उच्च-पैदावार और जलवायु अनुकूल किस्में जारी की जाएगी। अगले 2 वर्षों में 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती में मदद करने की बात भी कही गई है। देखने वाली बात यह होगी कि बजट की ये घोषणाएं कहीं जुमला बनकर न रह जाएँ। सरकार को देश में उपलब्ध युवाशक्ति के पॉटेंशियल को सृजनात्मकता की ओर मोड़ने के लिए भविष्य में बजट से अलग भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी कम की गईं हैं. इससे आम आदमी को महंगाई से कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन चुनिंदा टेलीकॉम इक्विपमेंट पर Prifted Circuit Bord Assemblies (PCBA) की ड्यूटीज में इजाफा किया है। यह इजाफा 10% से 15% तक होगा। इसका असर कई मोबाइल यूजर्स पर देखने को मिलेगा। Telecom Equipmeft की कीमत में इजाफा होने की वजह से यह कई तरह से मोबाइल यूजर्स को प्रभावित कर सकता है। दरअसल, PCBA पर ज्यादा ड्यूटीज लगने की वजह से टेलिकॉम इक्विपमेंट की कीमत में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। ऐसे मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है और इससे ऑपरेशनल कॉस्ट में भी इजाफा होगा। शॉर्ट टर्म के लिए टेलीकॉम कंपनियां टैरिफ और महंगे कर सकती हैं। इतना ही नहीं, SG रोल आउट की रफ्तार भी धीमी पड़ेगी। टेलीकॉम ऑपरेटर को इसकी वजह से ऑपरेशन में ज्यादा कीमत खर्च करनी पड़ सकती है। इसकी वजह से कस्टमर को ज्यादा सर्विस चार्ज या महगे टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। COAI की तरफ से मांग की गई थी की ड्यूटी को घटा कर जीरो कर दिया जाए ताकि 5G रोल आउट में तेजी आ सके। बाद में अलग अलग सेक्टर्स को ध्यान में रख कर ड्यूटी में बढ़ोतरी की जा सकती है। हालांकि ऐसा नहीं हुआ और बजट में ड्यूटी को बढ़ा दिया गया है। वैसे तो बजट एक ऐसी एक्सरसाइज है जहां सरकार संसद (और इसके माध्यम से, पूरे देश) को अपने फाइनेंस के बारे में बताती है। इसका मतलब है तीन मुख्य चीजों पर खरा उतरनाः आय (इनकम), व्यय (खर्च) और उधार। बजट आम तौर पर एक वित्तीय वर्ष के खत्म होने और दूसरे की शुरूआत में आता है। यह नागरिकों को बताता है कि सरकार ने पिछले साल कितना पैसा जुटाया, इसे कहां खर्च किया, और कितना उधार लेना पड़ा। साथ-साथ यह अनुमान भी देता है कि अगले वित्तीय वर्ष (मौजूदा मामले में, चालू वित्तीय) में क्या कमाई होने की उम्मीद है, सरकार इसे कितना और कहां खर्च करने की योजना बना रही है, और उन्हें कितना उधार लेना पड़ सकता है। वैसी ही एक्सरसाइज संपन्न होनी थी, वह हो गयी। कुल जमा एक दृष्टि में बजट आंकड़ों की बाजीगरी के अलावा अर्थव्यवस्था को भविष्य के लिए कोई खास दिशा देने वाला प्रतीत नहीं होता। अतवीर सिंह ।
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