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देव कुमार

हल्द्वानी। कहने को केंद्रीय विद्यालय मंगलवार से खुल चुके हैं और नये सत्र की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है, लेकिन कक्षा पहली से कक्षा छह तक के बच्चे बिना किताबों के ही स्कूल पढ़ने जा रहे हैं। दरअसल, एनसीईआरटी ने नेशनल करेंकुलम फ्रेमवर्क के अंतर्गत नये शैक्षणिक सत्र साल का कोर्स बदल दिया है। कक्षा एक और छह के बच्चों के लिये एनसीईआरटी की नई किताबें लागू की जाएंगी।
बता दे कि पिछले सत्र में भी कक्षा एक की किताबें बदली गयी थी जो स्कूल खुलने के एक माह बाद बच्चों को उपलब्ध हुई थीं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब किताबें बदली करनी ही थीं तो यह कार्य समय से पूर्व पूरा क्यों नहीं किया गया। एनसीईआरटी की इस लापरवाही से बच्चों के भविष्य का जिम्मेदार आखिर किसे ठहराना ठीक होगा। किताबों के बदले जाने के कारण, बच्चों को पढ़ने में मुश्किलें उठानी पड़ रही है। बुधवार को भी केंद्रीय विद्यालयों में पुरानी कोर्स की किताबों से पढ़कर खानापूर्ति की गयी। दुकानदारों का कहना है कि पाठ्यक्रम परिवर्तित होने के कारण अभी बाजार में एनसीईआरटी ने नई किताबें नहीं उतरी हैं। जिस कारण से बच्चो को और अभिभावकों को चिंता सता रही है। वहीं, दूसरी ओर स्कूल और दुकानदारों की सांठगांठ से भी अभिभावक परेशान है। सिलेबस लेने आए एक अभिभावक ने नाम न छापने की शर्त में बताया कि दुकानदार बिना रजिस्टर, कॉपी के खाली बुक का सेट देने को तैयार ही नहीं है। दुकानदारों का कहना है कि पूरा सेट ही मिलेगा।
क्रमश:

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