लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा नेतृत्व कुछ राज्यों में पूर्व मुख्यमंत्रियों विशेष रूप से उन मुख्यमंत्रियों को मैदान में उतारने पर विचार कर रहा हैं जिन्हें पिछले 5 वर्षों में पद से हटा दिया गया था। गुजरात, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों विजय रूपाणी, बिप्लब देब, शिवराज सिंह चौहान, तीरथ सिंह, त्रिवेन्द्र रावत तथा रमेश पोखरियाल निशंक को हटा दिया गया था। पोखरियाल को केंद्रीय मंत्री पद से भी हटा दिया गया था। इसलिए उन्हें दोबारा लोकसभा टिकट के लिए नामांकित नहीं किया जा सकता हैं लेकिन दूसरों को टिकट दिया जा सकता है। कुछ हलकों में ऐसी चर्चा है कि किसी राज्य में मौजूदा मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता हैं पार्टी में किनारे किए गए पुराने नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे सिंधिया के संबंध में भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं। वसुंधरा के पुत्र दुष्यन्त सिंह मौजूदा लोकसभा सदस्य हैं इसलिए एक टिकट का फार्मूला लागू किया जा सकता है। ऐसे में उन्हें राजस्थान में विधायक के रूप में बैठने और पार्टी के लिए प्रचार करने को कहा जा सकता है। 70 वर्ष और उसके आसपास के अधिकांश भाजपा सांसदों को डर हैं कि उन पर गाज गिर सकती है। हालांकि भाजपा में अनौपचारिक सेवानिवृत्ति की आयु 75 वर्ष हैं लेकिन पार्टी नेताओं को डर है कि इस बैंचमार्क से नीचे वालों को भी ‘जीतने की क्षमता’ कारक का उपयोग करके हटाया जा सकता है। पार्टी नेतृत्व अपनी चालों को लेकर बेहद गोपनीय है। यहां तक कि वरिष्ठ नेताओं को भी इस बात की जानकारी नही है कि क्या योजना बनाई जा रहीं है। पी.एम. नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ‘गुजरात मॉडल’ को दोहराने के लिए उत्सुक दिखते हैं। इस जोड़ी ने एक ही झटके में राज्य के कई नेताओं – सी.एम. से लेकर मंत्रियों तक को 2022 में नए चेहरों के साथ बदल दिया था। मध्य प्रदेश और राजस्थान में उम्मीदवार चयन के सफल प्रयोगों के बाद इसी तरह की कवायद हो सकती हैं। ऐसे में कई वरिष्ठ सांसद खुद को हाशिए पर पांएगे।
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