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वक्फ संशोधन बिल को केंद्र सरकार की मंजूरी, उत्तराखंड में संपत्ति मुद्दे पर सरकार का रुख साफ

देहरादून: केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पास करवा लिया है, लेकिन इसके खिलाफ कई दल सुप्रीम कोर्ट का रुख कर रहे हैं। उत्तराखंड में भी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर राज्य सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि बोर्ड से बाहर आने वाली संपत्तियों को जनहित के कार्यों में उपयोग किया जाएगा।
उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड की कुल 5388 अचल संपत्तियां हैं, जिनमें से 2147 जमीनें पंजीकृत हैं। राज्य सरकार द्वारा यह साफ किया गया है कि जिन संपत्तियों के अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं, उनकी जांच करवाई जाएगी और अगर उनका कोई वारिस नहीं मिलेगा तो इन संपत्तियों का उपयोग स्कूल, कॉलेज और अस्पताल जैसे जनहित कार्यों के लिए किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि जिन संपत्तियों का पंजीकरण नहीं हुआ है, उन्हें जल्द पंजीकरण कराया जाएगा और अभिलेखों को विभाग को सौंपा जाएगा।
राज्य में वक्फ संपत्तियों का सबसे अधिक रकबा हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहरादून के विकास नगर तथा सहसपुर क्षेत्रों में पाया गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बोर्ड की उन संपत्तियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी जिनका रिकॉर्ड पूरी तरह से सही है।
साथ ही, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2025 को अपनी मंजूरी दे दी है, जिसे संसद ने हाल ही में पारित किया था। हालांकि विपक्षी दलों ने इस विधेयक को ‘मुस्लिम विरोधी’ और ‘असंवैधानिक’ करार दिया है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह ऐतिहासिक सुधार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए लाभकारी होगा।
एआईएमपीएलबी ने इस विधेयक के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाने की घोषणा की है, और यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक यह संशोधन पूरी तरह से निरस्त नहीं हो जाता।

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