

ग्राम डांगी में आरक्षण बना बाधा, ग्रामीणों ने जताया रोष
देहरादून/ पौड़ी: कल्जीखाल ब्लॉक उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज़ है, लेकिन पौड़ी जनपद के डांगी गांव में चुनावी प्रक्रिया ठप है। वजह है आरक्षण में आई एक अनदेखी, जो न सिर्फ लोकतंत्र के मूल्यों पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि एक पूरे गांव की भागीदारी को ही बाधित कर रही है।
इस बार ग्राम डांगी में ग्राम प्रधान का पद अन्य पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) महिला के लिए आरक्षित किया गया है। समस्या यह है कि गांव में न तो कोई ओबीसी वर्ग से प्रमाणित महिला है, और न ही ओबीसी समुदाय का कोई मतदाता। ऐसे में स्वाभाविक रूप से ग्राम प्रधान पद के लिए कोई उम्मीदवार सामने नहीं आया। ग्रामीणों के मुताबिक 2015 से अब तक गांव में ओबीसी प्रमाण पत्र ही जारी नहीं हुए हैं।
गांव के समाजसेवी जगमोहन डांगी कहते हैं कि हमने कई बार अधिकारियों को ज्ञापन दिया, समझाया कि हमारे गांव में ओबीसी की जनसंख्या नहीं है, लेकिन किसी ने संज्ञान नहीं लिया। अब स्थिति ये है कि कोई नामांकन नहीं हुआ और हम नेतृत्वविहीन हो गए हैं।
गांव के लोगों ने जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया को ज्ञापन सौंपा और आरक्षण में तत्काल सुधार की मांग की है।
ग्रामवासियों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई, तो वे आगामी क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत चुनावों का बहिष्कार करेंगे। यह सिर्फ एक विरोध नहीं होगा, बल्कि एक सन्देश होगा कि आरक्षण संवेदनशीलता और ज़मीनी हकीकत के साथ लागू किया जाना चाहिए, न कि आँकड़ों और फार्मूलों के आधार पर। आरक्षण का उद्देश्य प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है, लेकिन जब वह व्यवस्था को ठप कर दे, तो नीति पर पुनर्विचार जरूरी हो जाता है।
ग्राम डांगी का मामला उत्तराखंड के नीति-निर्माताओं के सामने एक आईना है जिसमें यह साफ दिखता है कि अगर सामाजिक संरचना को नजरअंदाज कर आरक्षण लागू किया जाए, तो वह समानता नहीं, वंचना का कारण बन सकता है।
कुल मिलाकर ग्राम डांगी का यह विरोध न कोई राजनीतिक आंदोलन है, न कोई दलगत लड़ाई यह लोकतांत्रिक भागीदारी का सवाल है। क्या कोई समुदाय नेतृत्व से वंचित रह जाए, सिर्फ इसलिए कि नीति ने उसकी मौजूदगी मानी ही नहीं? यह सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है यह उस भारत की हकीकत है, जहां हर योजना को ज़मीन पर उतरने से पहले ज़मीन को पढ़ना ज़रूरी है।
शासन को भेजा जाएगा पत्र
इस पूरे मसले पर जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि ग्रामीणों द्वारा उठाए गए इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया है। शासन से मार्गदर्शन के लिए पत्र भेजा जाएगा और दिशा-निर्देश मिलते ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।