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नफरत की खेती खुद को ही निगल जाती है….

आप जिस वक्त ये रिपोर्ट पढ़ रहे हैं, उस वक्त पाकिस्तान एक और नई बेबसी के दौर से गुजर रहा है। जिस फसल को दशकों पहले बोया गया था नफरत, आतंक और अस्थिरता की वो अब खुद पाकिस्तान के गले की फांस बन चुकी है।
भारत ने इस बार जो जवाब दिया है, वो सिर्फ एक जवाब नहीं है, बल्कि बरसों की सहनशीलता के बाद लिया गया एक ठोस फैसला है। ये एक्शन सिर्फ सीमा पार के खिलाफ नहीं, बल्कि उन विचारों के खिलाफ है जो नफरत और आतंक को सियासत की जमीन पर खाद-पानी देते हैं।
भारत ने हमेशा दुनिया को शांति, एकता और सह-अस्तित्व का संदेश दिया है। लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इसे भारत की कमजोरी समझने की भूल की। आतंकियों को पालना, उन्हें प्रशिक्षण देना, और फिर उन्हें भारत भेजना ये उसकी नीति रही। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।
भारत आज वह देश नहीं जो 20 साल पहले था। आज की भारत सरकार, भारत की सेना, और भारत की जनता सभी एकजुट होकर यह संदेश दे रहे हैं कि अब आतंक के हर बीज को जड़ से उखाड़ दिया जाएगा। पाकिस्तान ने जो बोया, वही आज काट रहा है और शायद आगे कई दशकों तक काटता रहेगा।
आतंक को समर्थन देने वाले मुल्क की हालत आज क्या है? आर्थिक दिवालियापन, सामाजिक अव्यवस्था, और राजनीतिक अस्थिरता… यही है पाकिस्तान की तस्वीर। अपने ही बनाए हुए आतंकवादी आज उसी को निशाना बना रहे हैं। न स्कूल सुरक्षित हैं, न मस्जिदें।
और भारत? भारत में इस एक्शन के बाद जो माहौल है, वह एकता का है, गर्व का है। हर धर्म, हर जाति, हर राज्य के लोग सेना के समर्थन में खड़े हैं। ये वही भारत है, जो सहिष्णु भी है और जब ज़रूरत पड़े तो निर्णायक भी।
ये लड़ाई सिर्फ सीमाओं की नहीं है, यह लड़ाई विचारधारा की है। और आज, भारत एक विचार बनकर खड़ा है शांति के लिए लड़ने वाला विचार, आतंक के खिलाफ निर्णायक विचार।
भारत ने जवाब दिया है मैं ये कह रहा हूं कि भारत ने चेतावनी दी है। और इस बार ये चेतावनी सिर्फ शब्दों की नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक, डिप्लोमेटिक आइसोलेशन और कूटनीतिक कार्रवाई की जुबान में है।
पाकिस्तान अब नफरत की उस आग में झुलस रहा है, जिसे उसने भारत के खिलाफ जलाया था। फर्क सिर्फ इतना है कि भारत उस आग से बच गया, और पाकिस्तान उसी में जल रहा है।

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