निजी कंपनीज द्वारा मनमानी तरीके से शुल्क बढ़ाए जाने के बाद जिस तरह ग्राहकों में बीएसएनएल में ‘घर वापसी’ की होड़ मची है, उसे देखकर बीएसएनएल के दिन फिरने की उम्मीद तो जगी ही है। लेकिन क्या सरकार चाहेगी कि बीएसएनएल मजबूत हो?
जिस समय लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में तीन गुना ताकत व सामर्थ्य से सरकार चलाने व जनकल्याण सम्बन्धी अनेक दावे व वादे कर रहे थे, उस समय देश की जियो रिलायंस, एयरटेल व वोडाफोन आइडिया जैसी तीन सबसे बड़ी कंपनियां भारतवर्ष के लगभग 109 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ताओं पर 34,824 करोड़ रुपए वार्षिक का आर्थिक बोझ डालने का फैसला कर चुकी थीं। इन कंपनियों द्वारा अपने ग्राहकों के लिए मोबाइल शुल्क को बढ़ाते हुए अब बढ़ी कीमतों के साथ नए प्लान बाजार में उतारे गए हैं। इस बढ़े हुये टैरिफ के बाद अब ग्राहकों पर मोबाइल टैरिफ पर होने वाला उनका खर्च औसतन 15 प्रतिशत और बढ़ गया है। गौरतलब है कि देश के कुल लगभग 119 करोड़ में से 109 करोड़ सेल फोन उपभोक्ता केवल रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन का मोबाईल कनेक्शन प्रयोग करते हैं जबकि शेष दस करोड़ उपभोक्ताओं में बीएसएनएल व अन्य छोटी क्षेत्रीय स्तर की कई कंपनीज हैं।
लोकसभा चुनाव समाप्त होने व एनडीए का तीसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद इन कंपनियों द्वारा लिया गया यह निर्णय निश्चित रूप से मोबाइल फोन उपभोक्ताओं को यह सोचने के लिये मजबूर करता है कि क्या रेट बढ़ाने के लिये यह कम्पनियाँ चुनाव समाप्त होने की प्रतीक्षा में थीं? और यह भी कि चुनाव पर्व के दौरान इन कंपनियों द्वारा अपने टैरिफ में बढ़ोतरी इसलिये नहीं की गयी ताकि सत्ता को 109 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ताओं के गुस्से का सामना न करना पड़े? गौरतलब है कि भारतीय मोबाईल बाजार में इस समय रिलांयस जियो के पास लगभग 48 करोड़ उपभोक्ता हैं जबकि एयरटेल के पास करीब 39 करोड़ तथा वोडाफोन आइडिया के पास 22 करोड़ 37 लाख मोबाईल फोन उपभोक्ता हैं। तीनों ही कंपनीज ने पूरे आपसी तालमेल के साथ केवल एक एक दिन के अंतराल पर कीमतों में इजाफा किया। जैसे रिलायंस जियो ने 27 जून को अपने रेट 12 प्रतिशत से 27 प्रतिशत तक बढ़ाये तो एयरटेल ने 28 जून को 11 से 21 प्रतिशत रेट बढ़ाये इसी तरह 29 जून को वोडाफोन आइडिया ने औसतन लगभग 16 प्रतिशत रेट बढ़ा दिए। विपक्ष का सीधा आरोप है कि यह कंपनियों अपनी मनमानी करते हुये अपने हिसाब से फोन दर बढ़ा रही हैं और उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाल रही हैं। एक प्रमुख अखबार की रिपोर्ट के अनुसार केवल मोबाईल फोन टेरिफ चार्ज बढ़ाने से देश में मुद्रा स्फीति की दर में 0.02 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाएगी। इसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा? इसी बीच दूरसंचार मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी कर एक तरह से टेलीकॉम कंपनियों का बचाव करते हुये यह कहा गया है कि टैरिफ की दर टेलीकॉम कंपनियां डिमांड एंड सप्लाई के आधार पर निर्धारित करती हैं। ये कंपनियां अपने उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कर रही हैं और इस निवेश को फाइनेंस करने के लिए ही टैरिफ बढ़ाने जैसे फैसले लिए जाते हैं। दरअसल भारत में टैरिफ सम्बन्धी फैसले भारतीय दूर संचार नियामक प्राधिकरण गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए कंपनियां करती हैं। सरकार स्वतंत्र बाजार के फैसलों में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करती है। खबरों के अनुसार पिछले दिनों इन टेलीकॉम कंपनियों द्वारा देश में ग्राहकों को 5 जी नेटवर्क की सुविधा देने के लिए तकनीकी क्षेत्र में भारी निवेश किया गया है। अब ग्राहकों को 5 जी सर्विस का लाभ उठाने के लिए 71 फीसदी ज्यादा शुल्क देना होगा। जबकि आंकड़ों के अनुसार यदि 5 जी सविधा देने के बदले यही कम्पनीज 15 से 17 फीसदी प्रति उपभोक्ता औसतन शुल्क भी बढ़ाती हैं तो भी उन्हें अपनी लागत वापस मिल जाएगी। परंतु सवाल यह है कि पूंजीपतियों के हितों का ध्यान रखने वाली सरकारें बढ़ चढ़कर उपभोक्ता हितों की केवल बातें तो करती हैं परंतु या तो यह पूजीपतियों के हक में फैसले करती हैं या उनके द्वारा उठाए गए इस तरह के मनमानी फैसलों पर न केवल खामोश रहती हैं बल्कि उन्हीं के पक्ष में कई तर्क भी दे डालती हैं। उपरोक्त तीनों निजी कंपनियों द्वारा शुल्क दर बढ़ाने के बाद खबरें यह भी आ रही हैं कि इन कम्पनीज के तमाम उपभोक्ता इन्हें छोड़ अब बी.एस.एन. एल. का कनेक्शन ले रहे हैं। निजी मोबाईल द्वारा रिचार्ज टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद बी.एस.एन.एल. ने भी प्रतिस्पर्द्धा में छलांग लगाते हुये तत्काल एक सस्ता और किफायती टैरिफ प्लान भी पेश किया है। साथ ही बी.एस.एन.एल. की ओर से यह घोषणा भी की गयी है कि कंपनी ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में 10 हजार 4 सो टॉवर लगाये हैं। इस घोषणा के बाद संभावना है कि बीएसएनएल जल्द ही 4जी सर्विस शुरू कर सकती है। गौरतलब है कि बीएसएनएल ने अप्रैल महीने तक देश भर में लगभग 3500 टॉवर स्थापित किए थे जोकि अब इस महीने यानी जुलाई तक 10 हजार तक पहुंच गए हैं। बहरहाल अब इन निजी कम्पनीज द्वारा मनमानी तरीके से शुल्क बढ़ाये जाने के बाद जिस तरह ग्राहकों में बीएसएनएल में ‘घर वापसी’ की होड़ मची है उसे देखकर बीएसएनएल के दिन फिरने की उम्मीद तो जगी ही है। साथ ही इन तीनों निजी कम्पनीज से ग्राहकों का मोह भंग होने के बाद इनके भी होश ठिकाने लगेंगे तभी ग्राहकों के साथ की जाने वाली इनकी व इन जैसी दूसरे क्षेत्रों की अन्य निजी कम्पनीज की मनमानी पर भी नियन्त्रण लग सकेगा। तनवीर जाफरी