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भाजपा- कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर

राजेश सरकार
हल्द्वानी। आगामी 20 नवंबर को केदारनाथ में होने जा रहे उपचुनाव के ‘रण’ में दोनों ही पार्टियों भाजपा-कांग्रेस की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। भाजपा के लिए य़ह सीट इसलिए भी नाक का प्रश्न बनी हुई है, क्योंकि अब तक 2002, 2007 और 2022 के विधानसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के कब्जे में रही है। इसलिए चुनावी रण में भाजपा जीत के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। जहां तक कांग्रेस की बात है, तो वर्ष 2012 व 2017 में वह इस सीट पर जीत का स्वाद चखने के बाद फिर से इस सीट पर क़ब्ज़ा ज़माने को लेकर आतुर दिख रही है। भाजपा-काग्रेस के बीच छिड़ी जंग को बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पवार ने और रोचक बना दिया है, हालाकि बॉबी के केदारनाथ दौरे का कांग्रेस को राजनैतिक लाभ मिलना तय माना जा रहा है और यही भाजपा के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब भी बना हुआ है।
गौरतलब है कि शैलारानी रावत के निधन के बाद केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। भाजपा विधायक रह चुकी शैलारानी रावत का विगत दिनों लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। 20 नवंबर को होने जा रहे उपचुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस की तरफ से नेता मैदान में उतर चुके हैं। राजनीति से जुड़े जानकारों का मानना है कि यह उपचुनाव दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। भाजपा जहां इस उपचुनाव को जीतने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती वहीं कांग्रेस भी इस सीट पर विजय श्री हासिल करने के लिए जी तोड़ प्रयास में जुटी हुई है। यहां बता दे कि 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद य़ह पांचवा उपचुनाव होने जा रहा है। इनमे से भाजपा व कांग्रेस दो-दो उपचुनाव में जीत दर्ज करा चुकीं हैं। य़ह उपचुनाव दोनों दलों के लिए इसलिए महत्वपूर्ण माने जा रहे है क्योंकि आगामी दिनों में प्रदेश में निकाय व पंचायत चुनाव होने है। केदारनाथ चुनाव में विजय पताका फहराने वालीं पार्टी का प्रभाव आगामी दिनों में होने वाले इन दोनों चुनावों पर पड़ेगा वहीं पार्टी की जीत और हार का असर पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा।
यहाँ य़ह भी बता दे कि 2022 के चुनाव के बाद चंपावत से विधायक कैलाश गहतोड़ी के त्यागपत्र दिये जाने के पश्चात सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस सीट से रिकार्ड तोड़ मतों से जीत दर्ज करायी थी। इसके बाद बागेश्वर में हुए उपचुनाव में भी भाजपा ने जीत हासिल की। वहीं कांग्रेस ने बदरीनाथ व मंगलौर में हुए विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की। अब केदारनाथ उपचुनाव दोनों ही दलों के लिए निर्णायक चुनाव साबित होगा।

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भीतरघात की गुंजाईश कम

केदारनाथ उपचुनाव में भाजपा व कांग्रेस जीत दर्ज कराने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है, और शायद यही वज़ह है कि पूरे चुनाव की मानीटरिंग स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ ही प्रदेश के मंत्रीगण व सत्ताधारी विधायक भी कर रहे है। वहीं मुख्य विपक्षी दल काग्रेस के दिग्गज नेताओ के साथ ही खुद नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य इस सीट पर अपनी निगाहें ज़मायें हुए है। जानकारों का कहना है कि दोनों पार्टियों के सूत्र अंदर व बाहर चारों तरफ अपनी नजर रखे हुए है।

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