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हल्द्वानी। हरेला पर्व के मद्देनजर जहां प्रदेश भर में वृहद पौधा रोपड़ कर ग्लोबल वार्मिग की समस्या से निजात पाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पहले काठगोदाम नरीमन चौराहा और फिर बीते रविवार को कालाढूंगी चौराहे के पास कई वर्षों पुराने पेड़ो को मात्र इसलिये काट दिया गया क्योकि ये सड़क चौड़ीकरण के कार्य में बाधा बन रहे थे। विकास के नाम पर हरे भरे पेड़ों पर आरी चलाना कहा तक जायज है, यदि इन्हें यहां से हटाया जाना इतना ही जरूरी था तो विभाग को अन्य तकनीक का इस्तेमाल कर इन्हें अन्यत्र स्थानांतिरित किया जाना था, पर ऐसा नहीं किया गया। विकास कार्यों को लेकर पेड़ों पर आरी चलाये जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है, प्रदेश में जहां कही भी सड़क निर्माण का कार्य हो या विकास से जुड़ा कोई अन्य मामला जहां कही भी पेड़ कार्य के दौरान आड़े आते है उन्हें इसी प्रकार हटा दिया जाता है। पेड़ों पर निर्दयता से आरी चलाने का यह हाल तब है जब प्रदेश में लगातार वन क्षेत्र घट रहा है। अभी तक उत्तराखंड का देशभर में स्वस्थ वायु प्राणदाता का स्थान रहा है, और उसी के दम पर प्रदेश सरकार केंद्र से राज्य को ग्रीन बोनस देने की मांग करती आयी है। लेकिन यदि प्रदेश में पेड़ो के पातन की यही रफ्तार रही तो एक दिन प्रदेश के पास न तो वनों से अच्छादित प्रदेश होने का दर्जा रहेगा, और न ही स्वस्थ्य वायु प्राणदाता होने का दम।

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