

भू-कानून के उल्लंघन पर सरकार खामोश, अफसर गुमराह कर रहे शासन: राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी का आरोप
देहरादून: परेड ग्राउंड स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से रूबरू होते हुए राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने उत्तराखंड में भू-कानून के खुलेआम उल्लंघन और अधिकारियों की लापरवाही को लेकर सरकार की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। पार्टी के आरटीआई व मानवाधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र कुमार ने दो टूक कहा कि “राज्य के अधिकारी न सिर्फ कार्रवाई में नाकाम हैं, बल्कि सरकार को अधूरी और भ्रामक जानकारी देकर गुमराह कर रहे हैं… और यह अब सहन नहीं किया जाएगा।”
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव प्रसाद सेमवाल ने सीधे तौर पर सरकार से उच्च स्तरीय जांच समिति गठित करने की मांग की जिसमें राजस्व विभाग के रिटायर्ड विशेषज्ञ अफसरों को शामिल किया जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।
प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने चेतावनी दी कि “अगर भू-कानून उल्लंघन के मामलों में जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो जन आंदोलन छेड़ा जाएगा… और इस बार आर-पार की लड़ाई होगी।”
वहीं व्यापार प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष नवीन पंत ने भड़ास निकालते हुए कहा कि “जिला स्तर के अफसर न सरकार को सच बता रहे हैं, न अदालत में ठीक से पैरवी कर रहे हैं… भू-माफिया पूरी तरह हावी हैं और आम जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।”
पार्टी का दावा है कि देहरादून में नियमों को दरकिनार कर ज़मीनें खरीदी गईं, लेकिन न तो सरकार ने जवाब दिया और न ही आरटीआई में जानकारी दी गई, आखिर क्यों छिपाई जा रही है सच्चाई? मामला इतना गंभीर हुआ कि मानवाधिकार आयोग को भी दखल देना पड़ा।
तो सवाल ये है कि क्या उत्तराखंड में भू-माफिया बेलगाम हो चुके हैं? क्या सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से नियमों को तोड़ा जा रहा है?