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हल्द्वानी। कोचिंग के नाम पर हल्द्वानी में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। स्कूल के क्लास रूम से ज्यादा बच्चे एक सत्र में पढ़ाये जा रहे हैं। कुछ कोचिंग संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो बाकी लोग इंटरनेट पर अपनी फर्जी रेटिंग दिखाकर लोगों को भ्रमित कर मनमानी फीस वसूल रहे हैं।
बता दें कि अगर आप अपने बच्चे का किसी कोचिंग सेंटर में दाखिला कराने जा रहे हैं तो जरा सावधान हो जाए क्योंकि शहर में अधिकांश कोचिंग सेंटर भ्रम फैलाकर बच्चों व उनके अभिभावकों को अपने जाल में फंसा रहे है। इंटरनेट के माध्यम से वह खुद फीड बैक लिखकर प्रतियोगी छात्रों को गुमराह भी कर रहे हैं। शहर में कालाढूँगी रोड, नैनीताल रोड़, नवाबी रोड़, मुखानी नहर कवरिंग रोड़, जगदम्बा नगर, बरेली रोड़, रामपुर रोड़, लालडाट रोड़, लामाचौड़ आदि स्थानों पर कोचिंग सेंटरों का जाल बिछा हुआ है। सीबीएसई स्कूलों के कुछ शिक्षकों ने भी अपने घरों में बोर्ड लगा रखे हैं। कोई अपने को फिजिक्स, मैथ और कैमिस्ट्री का भीष्म पितामह बता रहा है तो कोई बॉयलोजी का। शहर का ऐसा कोई चौराहा नहीं है जहां पर इन कोचिंग सेंटरों के होर्डिंग टॉपर बच्चों की फोटो लगाकर लोगों को आकर्षित न कर रहें है, जिन बच्चों ने कड़ी मेहनत की है और टयूशन पढ़ी भी नही है। इन कोचिंग सेंटरों में बच्चे के पारिवारिक पृष्ठ भूमि को देखकर फीस तय की जाती है। एक एक क्लास में 80 से सौ छात्र पढ़ाए जा रहे हैं। अनुमान लगाया जा सकता है कि एक बच्चे को कितना समय देते होंगें कोचिंग के शिक्षक। हालात यह हो गए है कि जिस घर में तीन चार कमरे हैं वो कोचिंग सेंटर खोल रहे है। सही बात तो यह है कि पर्वतीय क्षेत्रों से आने वाले बहुत से छात्र-छात्राएं और उनके अभिभावक हल्द्वानी में कोचिंग संस्थानों में प्रवेश लेने से पहले इंटरनेट पर हल्द्वानी की कोचिंग को सर्च कर रहे हैं। इसमें वह कई कोचिंग संस्थानों के इंटरनेट पर फैलाए झूठे जाल में फंसने लगे हैं। एक अभिभावक ने बताया कि उसने इंटरनेट पर फाइव स्टार देखकर अपने बच्चे को प्रवेश दिला दिया, लेकिन वहां जाकर पता चला कि उस कोचिंग सेंटर का प्रदर्शन ठीक नहीं है। कुछ कोचिंग संस्थान खुद इंटरनेट पर युवतियों को बैठाकर अपनी ब्रांडिंग करा रहे हैं और साथ ही फर्जी फीड बैक देकर फाइव स्टार भी बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञों की माने तो हल्द्वानी में किसी भी कोचिंग में प्रवेश दिलाने से पहले उसकी जमीनी तौर पर पड़ताल जरूरी है। इसके लिए किसी स्टार पर भरोसा करने की जगह उस कोचिंग में जाकर फैकल्टी, बच्चों के प्रदर्शन और पूर्व में हुए सेलेक्शन को देखना चाहिए। अधिकांश कोचिंग सेंटरों पर जो फैकल्टी पढ़ा रही है वो स्तरीय नहीं बल्कि काम चलाऊ है। ऐसे सेंटरों पर अभिभावक अपनी मेहनत की कमाई बेकार कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर कई ऐसे भवनों में कोचिंग संचालित हैं जहां बच्चों के जाने का एक ही रास्ता है। अगर कोई हादसा होता है तो बच्चों को सुरक्षित निकालना भी मुश्किल है। वहीँ जिम्मेदार अधिकारियों ने हल्द्वानी के कोचिंग सेंटरों में आग से निपटने के उपकरणों की जांच पड़ताल लंबे समय से नहीं की है। यदि की होती तो तमाम कोचिंग सेंटर फेल हो गए होते। हालात यह है कि कई शिफ्टों में पढ़ाई करवा रहे कोचिंग सेंटर सिर्फ भीड़ एकत्र करने पर भरोसा कर रहे हैं उनको क्वॉलिटी एजुकेशन की जरा भी फिक्र नहीं है। अगर देखा जाए तो पूरे शहर में दर्जन भर शिक्षक ही ऐसे है जिनके नाम की ब्राडिंग पर कोचिंग सेंटर भीड़ एकत्र करने में कामयाब हो रहे हैं। इन सेंटरों का भी अगर सफलता का प्रतिशत देखा जाए कोई अत्यधिक प्रभावशाली नहीं हैं, लेकिन मजबूर मां बाप चौराहों पर लगे होर्डिंग्स के दावों को देखकर एडमीशन करवा रहे हैं।

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