जिससे बनवानी है, उस ठेकेदार के मनमाफिक ही शर्त लगानी है
हल्द्वानी। प्रदेश के सरकारी विभागों, निगमों व अन्य उपक्रमों में विभिन्न कामों के ठेकों की कैसी बंदरबांट होती है, इसका ताजातरीन उदाहरण है नगर निगम हल्द्वानी-काठगोदाम के तहत बनने जा रही गौशाला। इस गौशाला के निर्माण के लिए आमंत्रित निविदा प्रपत्र में ऐसी शर्त लगाई गई कि वही व्यक्ति निविदा डालने के लिए अर्ह हो सके, जिसे अधिकारी ठेका देना चाहते हैं। नगर निगम गंगापुर कबडाल में लावारिस पशुओं के रहने के लिए एक गौशाला का निर्माण करवाने जा रहा है। इस कार्य के लिए निगम द्वारा निविदाएं आमंत्रित की गईं। लेकिन इस निविदा प्रपत्र में एक ऐसी शर्त जोड़ दी गई है, जो सबको चौंकाती है। अर्हता मानकों के खंड-1 में निविदादाता के लिए शर्त संख्या 3.1 में कहा गया है कि निविदादाता को पूर्व में केंद्र सरकार, किसी राज्य सरकार या इनके किन्हीं उपक्रमों में लावारिस पशुओं के लिए गौशाला बनाने का अनुभव होना चाहिए।
निविदा प्रपत्र में रखी गई यह अजीबो गरीब शर्त पहले तो इसलिए चौंकाती है कि गौशाला निर्माण करना कोई ऐसी विशिष्ट भवन निर्माण तकनीक तो है नहीं कि उसके लिए कोई विशेष अनुभवी ठेकेदार ढूंढा जाए और उसे ही ठेका दिया जाए। दूसरे तमाम जटिल भवन प्रारूपों के मुकाबले संभवतः गौशाला निर्माण करना अधिक आसान है। इसके बावजूद इस विशेष शर्त को लगाने का ‘विशेष रहस्य’ क्या है, इसे निगम के अधिकारी ही बेहतर तरीके से जानते होंगे।
चौंकने का दूसरा कारण यह है कि गौशाला कोई ऐसी इमारत नहीं, जो दूसरे भवनों की तरह लगातार और बड़ी संख्या में बनती रहती हो। शहर में यह तीसरी गौशाला है। स्वाभाविक है कि ऐसे लोगों की संख्या भी चुनींदा होगी, जिन्होंने पहले गौशाला बनाई होगी। ऐसे में प्रतिस्पर्धा इन्हीं एक-दो लोगों तक सीमित हो जाएगी और निगम के अधिकारी इनमें से किसी एक को गौशाला निर्माण का ठेका दे देंगे।
आम चर्चा भी है कि यह शर्त रखी भी इसीलिए गई थी कि प्रतिभागियों की संख्या की सीमित करके अधिकारियों के उस पसंदीदा निविदादाता को ठेका दिया जा सके, जो उन्हें “मुफीद’ बैठता है। एक ठेकेदार ने कहा भी कि भला निगम में पंजीकृत जो निर्माण ठेकेदार कई-कई बहुमंजिला इमारतों का निर्माण करते हैं, वो क्या गौशाला नहीं बना सकते। लेकिन यह शर्त गढ़ी ही इसलिए गई कि ज्यादा लोक निविदा में भाग न ले सकें और चुनींदा एक-दो लोगों में से ही मनमाफिक को ठेका दिया जा सके।