आज समाप्त हो रहा है जिला पंचायतों का कार्यकाल
देहरादून: ” तू डाल डाल, तो मैं पात पात” इसका अर्थ होता है कि यदि आप उत्तम है तो मैं अतित्तम।
ठीक वैसे ही जैसे लोगों को आप कहते होंगे कि आप शेर तो हम सवा शेर। यहाँ ये कहावत सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी पर एक दम सटीक बैठ रही है।
जिला पंचायतों में प्रशासन नियुक्ति करने के फैसले से धामी सरकार एक बार फिर विपक्ष के निशाने पर आ गई है। मुख्य विपक्षी दल का आरोप है कि प्रदेश सरकार ने सुनियोजित तरीके से पंचायतों के चुनावो को आगे धकेलने की कोशिश कर लोकतांत्रिक व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ाने का कार्य किया है। वही इस पूरे मामले पर प्रदेश की धामी सरकार ने ” तू डाल डाल, तो मैं पात पात” की कहावत को चरितार्थ करते हुए य़ह निर्णय लिया है कि अब उत्तराखंड में जनपद हरिद्वार को छोड़कर शेष सभी पंचायतों में अगले 6 माह तक निवर्तमान अध्यक्ष ही प्रशासक के रूप में कार्य करते रहेंगे। यहाँ बता दे कि उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि पंचायतों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पंचायतों के निवर्तमान अध्यक्ष को ही प्रशासक नियुक्त किया गया है। राजनीतिक जानकर कहते है कि ऐसा करके सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधे है, अध्यक्षों को प्रशासक के रूप में जहां अपनी लंबित पड़ी विकास योजनाओं को गति देंगे, वहीं इससे य़ह संदेश जाएगा कि पंचायतों की व्यवस्था अभी भी लोकतांत्रिक तरीके से चल रही है। यानी जनता के चुने हुए लोग ही व्यवस्था को चला रहे है।
निवर्तमान अध्यक्षों को जिपं की कमान पर सवाल
हरिद्वार जनपद को छोड़कर अन्य 12 जनपदों में जिला पंचायतों के निवर्तमान अध्यक्षों की नियुक्ति का कांग्रेस ने विरोध किया है।
प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने इसे अपने चेहतों को रेवड़ीया बांटने और इसके जरिए सरकारी धन का दुरुपयोग होने का गंभीर आरोप सरकार पर लगाया है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदीयाल ने इसे एक साजिश करार दिया है।
शासन की अनुमति पर लेंगे बड़े फैसले
सचिव पंचायती राज चंद्रेश कुमार ले निर्देशानुसार प्रशासक के रूप में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाएंगे, केवल सामान्य रूटीन के कार्य ही करेंगें। विशेष परिस्थिति में यदि को बड़ा नीतिगत फैसला लेना होगा तो इसके लिए प्रकरण संबंधित जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तराखंड शासन को भेजा जाएगा। जिस पर अंतिम निर्णय शासन की ओर से ही लिया जाएगा।