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पहाड़ी आर्मी संगठन की प्रेस कांफ्रेंस

हल्द्वानी। पहाड़ी आर्मी संगठन के संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत ने कहा कि संविधान की पांचवीं अनुसूची से ही पहाड़ को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को ब्रिटिश दौर में भी वहीं अधिकार मिले जो संविधान की आज 5 वीं व 6 वीं अनुसूची में शामिल है। इससे न सिर्फ यहाँ की जल, जंगल, जमीन बचेगी बल्कि यहाँ के युवाओ को नौकरियों में आरक्षण का भी लाभ मिलेगा। श्री रावत आज शुक्रवार को आज एक निजी रेस्त्रां में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार के शासन में उत्तराखंड को ट्राईब स्टेट्स का दर्जा मिला हुआ था। जिसे आजादी के बाद यूपी सरकार द्वारा 1971 में छीन लिया गया। इसी दौरान यूपी सरकार द्वारा गढ़वाल- कुमाऊँ के लोगों को नौकरियों में मिलने वाले 6 प्रतिशत के आरक्षण को भी समाप्त कर दिया। रावत ने कहा उत्तराखंड को छोड़कर अन्य सभी पहाड़ी राज्यों में 5 वीं व 6 वीं अनुसूची लागू है।
श्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड को 5 वीं अनुसूची में शामिल करने के साथ ही राज्य में सख्त भू कानून लागू करने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को 5 वीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर आगामी 20 अक्टूबर को एक अधिवेशन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पर्वतीय समाज के इतिहासकार, समाजसेवी व सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि प्रतिभाग करेंगे। पत्रकार वार्ता में श्री रावत के साथ संजय राठौर, कैलाश डालाकोटी, गौरव सिंह मुख्य रूप से मौजूद थे।

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