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महिला सशक्तिकरण का मैसेज तो सही पर मुख्य सचिव पद की स्वभाविक दावेदार है राधा

देहरादून। मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी पहली बार एक महिला आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी को सौंपकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवभूमि से मातृशक्ति सम्मान का बड़ा संदेश देने का प्रयास किया है। लेकिन सच यह भी है कि यदि जुलाई माह में एसएस संधू को मुख्य सचिव के तौर पर सेवा विस्तार नहीं दिया जाता तो राधा रतूड़ी को इतना इंतजार नहीं करना पड़ता।
सिर्फ 2 महीने बाद उसका रिटायरमेंट है। यदि सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार देने का मन नहीं बनाया तो उनका कार्यकाल सबसे छोटा होगा। वरीयता के हिसाब से भी देखें तो राधा रतूड़ी इस पद के लिए सबसे स्वाभाविक दावेदार है। नौकरशाही के सबसे बड़े पद पर राज्य गठन के 23 साल बाद पहली बार मुख्य सचिव की जिम्मेदारी वरिष्ठ महिला आईएएस राधा रतूड़ी को सौंपी गई है। सरकार का यह निर्णय महिलाओं को सशक्त और सम्मान से जुड़ा देखा जा रहा है। गौरतलब है कि धामी सरकार ने यूसीसी कानून में भी महिला सम्मान, सुरक्षा और अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। यूसीसी राज्य में लागू होने जा रहा है तो इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी भी बड़ी है। ऐसे में राज्य सरकार ने यूसीसी कानून लागू करने से पहले महिला अफसर को नौकरशाही के सर्वोच्च पद पर स्थापित कर एक बड़ा संदेश देना चाहा है।

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ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव तय

राधा रतूड़ी के मुख्य सचिव बनने के बाद प्रदेश में अपर मुख्य सचिव के तौर पर सिर्फ एक अधिकारी आनंद वर्धन रह जायेंगे। उत्तराखंड में अपर मुख्य सचिव के तीन पद है। इसका मतलब यह है कि या तो इस लेवल के दो पदों को खाली रखा जाएगा या फिर नीचे के अधिकारियों को प्रमोट किया जाएगा। आनंद वर्धन 1992 बैच के आईएएस ऑफिसर है। उनके बाद पांच साल को कोई केडर नहीं है। प्रदेश के दोनों प्रमुख सचिव आरके सुधांशु और एल फेनाई 1997 बैच के है। अभी राधा रतूड़ी के पास दो पद है, वह मुख्यमंत्री की अपर सचिव है और गृह विभाग भी उसके पास है। मुख्य सचिव बनने के बाद यह दोनों पद बाकी अधिकारियों को दिया जाएगा। यदि ऐसा होता है तो भी नौकरशाही में बड़ा बदला तय है।

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13 जिलों में 7 महिला अफसर

उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार जिलोें में डीएम, एसपी और एससपी के पदों पर 7 से ज्यादा महिला अफसर है। इनमें राजधानी देहरादून, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़, नैनीताल, बागेश्वर जैसे जिलों में डीएम और एसपी की जिम्मेदारी महिलाओं के पास है। जबकि सीडीओ, सीओ समेत अन्य महत्वपूर्ण विभागों के मुखिया भी महिला अफसरोें को बनाया है।

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