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पेयजल विभाग के मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास पर शासन मेहरबान

देहरादून: उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम के मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर हाइकोर्ट को सूचित किया गया है कि इस मामले में एसआईटी और विजिलेंस जांच की प्रक्रिया की जा रही है।
उधर विभागीय सचिव का कहना है कि उन्हें पेयजल निगम के एमडी का सुजीत के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कराने का पत्र मिला है, जिसका परिक्षण कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अभी तक सुजीत कुमार के खिलाफ किसी भी प्रकार के जांच के आदेश नहीं दिए गए है। ऐसे में सवाल य़ह उठता है कि आखिर सुजीत कुमार विकास पर य़ह महरबानी क्यों कि जा रही है? य़ह हालात तब है जब अगली सुनवाई में शासन को हाइकोर्ट में अपना पक्ष रखना है। दरअसल, जीएमएस रोड़ निवासी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल चन्द बलूनी ने पेयजल निगम के मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास पर आय से अधिक सम्पति रखने का आरोप लगाया था। इसकी जांच व कार्यवाई की मांग की थी। सबसे गंभीर आरोप य़ह है कि सुजीत की पत्नी के नाम विकास नगर में 24 करोड़ 22 लाख 79 हज़ार 511 रुपये की जमीन खरीदने का एग्रीमेंट रजिस्टर्ड हुआ है। इसमें सुजीत ने पत्नी के पिता वीरेंद्र सिंह का नाम लिखा है और य़ह छिपा गए कि रजू कुमारी उनकी पत्नी है। य़ह बात एमडी ने सचिव को जांच की संस्तुति के लिए लिखे पत्र में कहीं है। तीन पेज के इस पत्र में सुजीत के खिलाफ कई गंभीर आरोप है।
इसके पहले 22 अप्रेल 2024 को सचिव पेयजल ने अनिल चन्द बलूनी के शिकायती पत्र को पेयजल निगम के एमडी रणवीर सिंह चौहान को भेजकर जांच के निर्देश दिए थे। 9 और 10 मई को भी सचिव ने एमडी को रिमाइंडर भेजा। कार्यवाई के सम्बन्ध मे जानकारी मांगी। जब शासन स्तर पर कोई कार्यवाई नहीं हुई तो शिकायतकर्ता ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायाधीश राकेश थपलियाल की बेंच में इस प्रकरण सुनवाई हुई। 6 मई को हुई सुनवाई में उत्तराखंड सरकार से इस सम्बन्ध में की गई कार्यवाई पर जबाव तलब किया गया। 21 मई को इस प्रकरण में दोबारा हुई सुनवाई में शासन ने अदालत को अवगत कराया कि मुख्य अभियंता सुजीत विकास के खिलाफ विभागीय जांच की जा चुकी है। विस्तृत जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जा रहा है। अब 27 जुलाई को इस पर शासन को हाइकोर्ट पर जवाब देना है। हाइकोर्ट में मामला जाने के बाद शासन के निर्देश पर एमडी ने सुजीत विकास पर लगाए गए आरोपों की जांच की। जांच में उन्हें आय से अधिक सम्पति रखने कई अन्य मामलों में प्रथम दृष्टया दोषी पाया। इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की संस्तुति की गई। बड़ा सवाल य़ह है कि एमडी पेयजल निगम ने 15 मई को ही शासन को उच्च स्तरीय जांच के लिए खत लिखा था। इसी संस्तुति के आधार पर अदालत को बताया गया कि आरोपी अभियन्ता के खिलाफ एसआईटी गठित की जा रही है। लेकिन 13 दिन बीत जाने के बाद भी शासन ने जांच के सम्बन्ध में कोई निर्णय नहीं लिया है।

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विभागीय जांच में कई मामलों में दोषी

प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा है कि उत्तराखंड राज्य की भू अधिनियम का उलंघन होना, आयकर अधिनियम का उलंघन होना तथा उत्तराखंड पेयजल निगम का कर्मचारी आचरण नियमावली का वृहद पैमाने पर उल्लंघन प्रतीत होता है। य़ह प्रकरण अर्थिक मामलों से सम्बन्धित है, जिसे जांच किए जाने की विशेषज्ञता उत्तराखंड पेयजल निगम के पास नहीं है। अतः प्रकरण की जांच इस प्रकार की विशेषज्ञता रखने वाले संस्थानों मसलन राज्य सतर्कता अधिष्ठान अथवा प्रवर्तन निदेशालय या केंद्रीय जांच ब्यूरो आदि से कराया जाना उचित होगा। जांच में य़ह भी पाया गया है कि सुजीत कुमार की पत्नी ने कुछ जमीन खरीदी है जिसमें सुजीत गवाह बने है। एक जगह उन्होंने अपना पेशा बिजनेस दिखाया है जबकि एक स्थान पर उन्होंने अपना पेशा अदर्स लिखा है।

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प्रबन्ध निदेशक रणवीर सिंह चौहान द्वारा उच्च स्तरीय जांच कराने सम्बन्धी पत्र मिल चुका है। शासन स्तर पर इसका परिक्षण कराया जा रहा है। अभी मुख्य अभियंता सुजीत कुमार विकास के खिलाफ किसी प्रकार के जांच के आदेश नहीं दिए गए है।

 अरविंद सिंह हयाकि 

सचिव पेयजल एवं स्वच्छता विभाग

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