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बच्चे व्यावसायिक विशेषज्ञों बढ़ई, माली, कुम्हार आदि के साथ करेंगे इंटर्नशिप

दिल्ली। देश में अब कक्षा 6 से ही बच्चों को रोजगार का हुनर सिखाया जाएगा। इसका मकसद पढ़ाई को अधिक आनंदमय, अनुभवात्मक और तनाव मुक्त बनाना है। कक्षा छठी से आठवीं तक का प्रत्येक छात्र एक मनोरंजक पाठ्यक्रम का लाभ लेगा, जिसमें काष्ठकला, बिजली का काम, धातु का काम, बागवानी, मिट्टी के बर्तन बनाना आदि की समझ और व्यावहारिक अनुभव दिया जाएगा। छात्र को कौन सा हुनर सिखाया जाएगा, यह राज्य और स्थानीय समुदायों द्वारा तय किया जाएगा और स्थानीय कौशल आवश्यकताओं के अनुसार निर्धारित किया जाएगा। इसके लिए 10 दिवसीय बस्ता रहित कार्यक्रम तय किया गया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 की चौथी वर्षगांठ पर बस्ता रहित दिवस के क्रियान्वयन और विद्यालयों में पढ़ाई को अधिक आनंदमय, अनुभवात्मक और तनाव मुक्त बनाने के लिए दिशा-निर्देश अधिसूचित किए। नई शिक्षा नीति में सिफारिश की गई थी कि कक्षा 6-8 के सभी छात्र 10-दिवसीय बस्ता रहित अवधि में भाग लें। 10 बस्ता रहित दिनों के पीछे का विचार उन्हें पढ़ने-पढ़ाने की प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग बनाना है। उन्होंने कहा, मंत्रालय ने कहा कि सभी छात्र कक्षा 6-8 के दौरान किसी समय 10-दिवसीय बस्ता रहित दिवस में भाग लेंगे, जिस दौरान व व्यावसायिक विशेषज्ञों जैसे-बढ़ई, माली, कुम्हार आदि के साथ इंटर्नशिप करेंगे।

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