देहरादून। उत्तराखंड का आपदा प्रबंधन प्राधिकरण खुद आपदाग्रस्त होता जा रहा है। उधार के अधिकारियों और कर्मचारियों से प्रदेश भर को आपदा मुक्त रखने और आपदा के दौरान राहत व बचाव कार्य चलाने के लिए अधिकृत इस संस्थान से एक-एक अधिकारी-कर्मचारी इस्तीफा देते जा रहे है। अधिकृत रूप से वेतन वृद्धि नहीं होने और पदोन्नति का कोई स्कोप नहीं होने को इस्तीफे का कारण माना जा रहा है, लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड जो कारण बताये गये हैं वे बेहद चौंकाने वाले है। पिछले 20 साल से एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे अधिकारी पीयूष रौतेला ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मुख्य सचिव को सेवा छोड़ने का उल्लेख किया है। इसके अलावा जूनियर एग्जीक्यूटिव और एसईओसी इंचार्ज राहुल जुगरान भी इस्तीफा दे चुके है। फिलहाल यह दोंनों अधिकारी नोटिस पीरियड में है। इसके अतिरिक्त आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी और अधिकारी अपना इस्तीफा दे चुके है। ऐसे में सवाल यह है कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में इस्तीफे की झड़ी क्यों लगी है? इस्तीफा देने वालों ने इसके निजी कारण गिनाए है। किसी ने प्रमोशन या वेतन वृद्धि नहीं होने का में कामकाज के दौरान मानसिक उत्पीड़न को इस्तीफे की वजह बतायी है। एसईओएस राहुल जुगरान नियमितीकरण नहीं होने से नाराज है। यह मामला हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। जुगरान के मामले को छोड़ दें तो अधिकांश इस्तीफे के पीछे वेतन वृद्धि और प्रमोशन नहीं होने के अतिरिक्त कई और कारण है। विभागीय सूत्रों की मानें तो एक अधिकारी आपदा प्रबंधन केन्द्र में नौकरी करने के साथ ही आईटी पार्क स्थित एक निजी कंपनी में ड्यूटी करता था। शिकायत पर विभाग ने जब कार्रवाही की चेतावनी दी तो उसने नौकरी से रिजाइन कर दिया। एक अन्य अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की पुष्टि हुई और कार्रवाही की बारी आई तो उसने रिजाइन दे दिया और कुछ ऐसे भी अफसर हैं जिन पर ग्रेच्यूटी का फंड हड़पने और आपदा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रूपये हजम करने के आरोप है।
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