

उत्तरकाशी। अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर हिमालय की गोद से आध्यात्मिक यात्रा का श्रीगणेश हो गया है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट आज विधिवत रूप से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मां गंगा और मां यमुना की उत्सव डोलियां पारंपरिक विधियों, वैदिक मंत्रोच्चार और फूलों की वर्षा के बीच अपने-अपने धाम पहुंचीं, जहां कपाट खुलते ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल के अनुसार, मंगलवार को प्रातः 11:57 बजे मां गंगा की डोली मुखबा गांव से गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई थी। रात्रि विश्राम के लिए भैरव घाटी में विराम के बाद, डोली आज सुबह नौ बजे धाम पहुंची। यहां विधिविधान के साथ गंगा पूजन, गंगा सहस्त्रनाम पाठ और विशेष पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद सुबह 10:30 बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गंगोत्री मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया था, और वातावरण में भक्ति की अनूठी छटा बिखर रही थी।
वहीं यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुशल उनियाल ने बताया कि मां यमुना की डोली आज सुबह 8:38 पर खरसाली गांव से शनिदेव की अगुवाई में रवाना हुई। करीब 10 बजे डोली यमुनोत्री धाम पहुंची। यहां पूजा-अर्चना, हवन और वैदिक विधियों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र और सिद्ध योग में 11:55 बजे कपाट खोले गए। धाम की वादियों में “जय मां यमुना” के जयघोष गूंज उठे।
कपाट खुलते ही देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। अब अगले चरण में केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खोले जाएंगे। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित इन चार धामों की यात्रा को जीवन का पुण्य अवसर माना जाता है, और आज से यह आध्यात्मिक यात्रा शुरू हो चुकी है।