

आयुष्मान के नाम पर फर्जीवाड़ा, जब दस्तावेज बनते हैं दलालों के दम पर
देहरादून: ये जो आंकड़े हैं न साहब, ये सिर्फ नंबर नहीं हैं। ये उस सिस्टम की चूकों का आईना हैं, जिसमें अपात्र भी पात्र बन जाते हैं, और जो वाकई पात्र हैं, वो फार्म लिए दफ्तर-दफ्तर भटकते हैं।
देहरादून की हवा में इस बार मॉनसून से ज्यादा राशन और आयुष्मान कार्ड की मिलावट घुल गई है। राजधानी में 1,36,676 राशन कार्ड निरस्त किए गए, कहने को तो कागज़ पर कार्रवाई हुई, लेकिन इसी कार्रवाई की दरार से निकला एक बड़ा घोटाला। जिन कार्डों को फर्जी बताकर काटा गया, उन्हीं में से 9428 कार्डधारकों ने आयुष्मान भारत योजना का लाभ ले लिया और वो भी फर्जी दस्तावेजों के दम पर।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अतिरिक्त निदेशक (आईटी) अमित शर्मा ने थाना राजपुर में जो शिकायत दर्ज कराई है, वो शिकायत नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम की पोल खोलने वाली चार्जशीट है। इन 9428 में से अभी तक सिर्फ 150 आयुष्मान कार्ड रद्द हो पाए हैं। बाकी अभी भी सिस्टम में जिंदा हैं और संभव है कि इनके जरिए करोड़ों रुपए का लाभ पहले ही उठाया जा चुका हो। इसे सिर्फ तकनीकी लापरवाही कह देना आसान होगा, लेकिन सवाल बड़ा है क्या ये कोई संगठित गिरोह का काम है?
जिन राशन कार्डों को आधार बनाया गया, उनमें कई कार्डधारक मर चुके हैं, कई के नाम झूठे हैं, और कई ने गलत दस्तावेजों के दम पर ये कार्ड बनवा लिए। जिला पूर्ति अधिकारी शशांक चौधरी की माने तो कुछ कार्ड ऐसे भी थे, जो खुद सिस्टम में निष्क्रिय थे लेकिन आयुष्मान कार्ड के लिए पूरी तरह से सक्रिय बन गए। यानी सिस्टम एक आंख से देख रहा था, और दूसरी आंख बंद थी।
थाना राजपुर और नगर कोतवाली दोनों में अब मामले दर्ज हो चुके हैं। पुलिस कह रही है कि हर ऐसे मामले को चिन्हित किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। लेकिन ये वही पुलिस है जिसे हम और आप जानते हैं धीरे चलती है, लेकिन थकती नहीं। कार्रवाई होगी, लेकिन कब इसका अंदाजा सिस्टम नहीं देता।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त जांच के निर्देश तो दिए हैं, लेकिन इस पूरे मामले में जो सबसे बड़ा सवाल है वो यही है कि क्या इस जांच का परिणाम जनता के सामने आएगा, या फिर ये भी किसी रिपोर्ट, चार्जशीट और नोटिंग के हवाले होकर दफ्तरों में धूल खाएगा?
कुल मिलाकर देश जब डिजिटल हो रहा है, तब फर्जी कार्ड भी ऑनलाइन बन रहे हैं। जिनके पास कुछ नहीं है, वो लाइन में खड़े हैं। और जिनके पास झूठ है, वो सीधे सिस्टम में लॉगइन हैं।
ये घोटाला केवल सरकारी योजनाओं के साथ धोखा नहीं है, बल्कि उन गरीबों, वंचितों और बीमारों के हक पर डाका है, जो सच में इस योजना के पात्र थे।