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दुष्यंत गौतम की हार, लेकिन सीएम बनने की उम्मीदें बरकरार
राजेश सरकार
देहरादून: दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक ओर जहां आम आदमी पार्टी से कड़ी टक्कर मिली, वहीं करोलबाग सीट पर पार्टी को बड़ा झटका लगा है। इस सीट पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता दुष्यंत गौतम को हार का सामना करना पड़ा है, जबकि पार्टी उनकी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रही थी। खासकर, उन्हें दिल्ली बीजेपी का संभावित मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में देखा जा रहा था। दुष्यंत गौतम, जो कि उत्तराखंड के प्रभारी होने के साथ-साथ बीजेपी के राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी भी हैं, पार्टी में अपनी सांगठनिक क्षमता और कार्यशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके नेतृत्व में उत्तराखंड में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की, और लोकसभा चुनाव में भी उत्तराखंड की पांचों सीटें बीजेपी के खाते में आई थीं। इस वजह से, उन्हें दिल्ली में भी बीजेपी का मुख्यमंत्री चेहरा माना जा रहा था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दुष्यंत गौतम को लेकर पार्टी हाइ कमान के पास अभी भी मुख्यमंत्री बनाने का विकल्प मौजूद है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में पुष्कर सिंह धामी की खटीमा से हार के बावजूद पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना कर यह संदेश दिया कि संगठन की मजबूती और नेतृत्व के कारण पार्टी किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है। यह कदम पार्टी की रणनीतिक सोच को दर्शाता है, जिसमें मुख्यमंत्री का चयन पार्टी की संगठनात्मक क्षमता और चुनावी प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। दिल्ली में भी पार्टी हाई कमान इसी कार्ड को खेल सकता है और दुष्यंत गौतम को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर सकता है। उनके नेतृत्व में पार्टी को मजबूत संगठनात्मक दिशा मिल सकती है, और उनकी सांगठनिक पकड़ के कारण दिल्ली में बीजेपी की स्थिति और सशक्त हो सकती है। दुष्यंत गौतम का दलित समाज से आना भी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है, जिससे वह दिल्ली की राजनीति में पार्टी के प्रभाव को और मजबूत कर सकते हैं। हालांकि, करोलबाग सीट पर मिली हार ने उनके मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदों को कुछ समय के लिए कमजोर जरूर किया है, लेकिन बीजेपी में उनकी स्थिति और भूमिका को देखते हुए यह स्पष्ट है कि दुष्यंत गौतम का भविष्य पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहेगा।
प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धा: एक ऐतिहासिक पल
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की और इस सफलता में उत्तराखंड मूल के नेताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। बीजेपी के वरिष्ठ नेता मोहन सिंह बिष्ट और रविंद्र सिंह नेगी ने अपनी जीत से पार्टी की स्थिति को मजबूत किया। मोहन सिंह बिष्ट, जो पहले पांच बार करावल नगर सीट से विधायक रहे, इस बार मुस्तफाबाद सीट से बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में उतरे। उन्होंने आम आदमी पार्टी के अदील अहमद खान को हराकर मुस्तफाबाद सीट पर जीत दर्ज की।वहीं बीजेपी के रविंद्र सिंह नेगी ने पटपड़गंज सीट पर आम आदमी पार्टी के अवध ओझा को 23,280 वोटों के बड़े अंतर से हराया। रविंद्र सिंह नेगी उत्तराखंड के बागेश्वर के निवासी हैं। रविंद्र नेगी के लिए एक और खास पल तब आया जब प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी श्रद्धा की वजह से उनके पैर छुए, जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। यह घटना उस वक्त और भी महत्वपूर्ण हो गई जब पीएम मोदी ने बागेश्वर बाबा में अपनी अगाध श्रद्धा का इज़हार किया।
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