कर्नाटक विधानसभा चुनाव निपटने के बाद फिर शुरू हुआ अटकलों का दौर
अटकलों के बीच भाजपा विधायकों में तेज हुई सरगर्मियां, राजनीतिक क्षत्रपों के जरिये कर रहे जोड़-तोड़ की जुगत
राजेश सरकार / गौरव पांडेय
हल्द्वानी। उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर एक बार फिर राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच भाजपा में हलचल बढ़ गई है। अटकलों के बीच विधायकों में सरगर्मियां बढ़ गई हैं। विधायक मंत्री पद पाने के लिए राजनीतिक क्षत्रपों के जरिये जोड़-तोड़ की जुगत में लगे हैं। इसके साथ ही राज्य में भाजपा विधायकों के बीच मंत्री पद की रेस भी शुरू हो गई है।
संवैधानिक प्राविधानों के तहत राज्य कें मंत्रिमंडल में कुल विधानसभाओं का 15 फीसदी यानी मुख्यमंत्री समेत अधिकतम 12 सदस्य हो सकते हैं। पिछले साल राज्य में 47 सीटों के साथ विस चुनाव जीतने के बाद भाजपा हाईकमान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत नौ सदस्यीय मंत्रिमंडल तैयार किया था। उस वक्त मंत्रिमंडल में तीन सीट खाली छोड़ी गई थीं। हाल ही में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद मंत्रिमंडल में चार सीट खाली हो गई हैं। फिलहाल राज्य के मंत्रिमंडल में चम्पावत से विधायक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, चौबट्टाखाल से विधायक सतपाल महाराज, ऋषिकेश से प्रेमचंद अग्रवाल, मसूरी से गणेश जोशी, श्रीनगर से धन सिंह रावत, नरेंद्रनगर से सुबोध उनियाल, सोमेश्वर से रेखा आर्य, सितारगंज से सौरभ बहुगुणा शामिल हैं। मंत्रिमंडल में अभी मुख्यमंत्री समेत छह जिलों का ही प्रतिनिधित्व है। हरिद्वार और नैनीताल जैसे महत्वपूर्ण जिले भी खाली चल रहे हैं। यहां यह भी गौरतलब है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल विस्तार के संकेत दिए थे। भट्ट के मुताबिक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार और मुख्यमंत्री के बीच वार्ता भी हो चुकी है। हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अंतिम फैसला भाजपा हाईकमान को ही करना है।
कुमायूं में ब्राह्मण और ठाकुर विधायक को मिल सकता है मंत्री पद
हल्द्वानी। कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद फिलहाल कुमायूं मंडल से रेखा आर्य और सौरभ बहुगुणा ही मंत्री हैं। यहां यह भी गौरतलब है कि सौरभ मूल रूप से गढ़वाल से आते हैं। इन राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार में कुमायूं से ब्राह्मण और ठाकुर विधायक को मौका मिल सकता है। दरअसल कुमायूं में 80 फीसदी से अधिक ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता हैं। ऐसे में ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं को साधने के लिए भाजपा कुमायूं से दो विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है। कुमायूं से ब्राह्मण विधायकों में कालाढूंगी से बंशीधर भगत और रानीखेत से प्रमोद नैनवाल शामिल है। विधायक भगत भाजपा के वरिष्ठतम नेता हैं और सात बार विधायक चुने जा चुके हैं। वर्ष 1991 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में नैनीताल से विधायक चुने गए थे। फिर 1993 में दूसरी और 1996 में नैनीताल से तीसरी बार विधायक बने। वह अविभाजित उत्तर प्रदेश में मंत्री रहने के साथ ही उत्तराखंड में भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। कालाढूंगी विधानसभा को उनका गढ़ माना जाता है। परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई कालाढंूगी विधानसभा सीट से वह यहां लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव में अजेय रहे हैं। हल्द्वानी विधानसभा सीट पर वह 2007 में कांग्रेस की कद्दावर स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश को भी पटखनी दे चुके हैं। वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। दूसरी ओर रानीखेत से दूसरे ब्राह्मण विधायक प्रमोद नैनवाल वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा को पटखनी दे चुके हैं। जबकि माहरा ने वर्तमान में केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट को दो बार हराया था। नैनवाल की संघ में भी अच्छी पकड़ है। इधर, ठाकुर उम्मीदवार के तौर पर लालकुआं से विधायक मोहन बिष्ट का दावा भी काफी मजबूत है। वह कांग्रेस के कद्दावर वरिष्ठ नेता और विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा रहे हरीश रावत को हरा चुके हैं। जबकि वरिष्ठता को देखते हुए डीडीहाट से विधायक बिशन सिंह चुफाल भी रेस में हैं।
गढ़वाल से इन विधायकों की लग सकती है लॉटरी
हल्द्वानी। गढ़वाल से लगे महत्वपूर्ण हरिद्वार जिले को भी अभी मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार में हरिद्वार से लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज करने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता मदन कौशिक को मौका मिल सकता है। वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहने से पहले कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। दूसरी ओर गढ़वाल से जातिगत समीकरणों को देखते हुए कर्णप्रयाग के ब्राह्मण विधायक अनिल नौटियाल को भी मौका मिल सकता है।
एक कैबिनेट मंत्री की जा सकती है कुर्सी
हल्द्वानी। मंत्रिमंडल विस्तार के बीच एक कैबिनेट मंत्री की कुर्सी भी जा सकती है। यह कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल हैं। कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का ऋषिकेश मारपीट प्रकरण में वीडियो वायरल होने के बाद उनकी कुर्सी को भी खतरा होने के कयास राजनीतिक हलकों में लगाए जा रहे हैं। अग्रवाल की कुर्सी गई तो गढ़वाल से किसी और विधायक को भी मंत्री बनाया जा सकता है।