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भीमताल की पहाड़ी से उठती मानवता की आवाज़ दो अनाथ बहनों के लिए ढाल बने हेमंत गोनिया

भीमताल (नैनीताल)। यह खबर किसी सरकारी विज्ञापन की नहीं है। यह खबर किसी योजना के सफल क्रियान्वयन की भी नहीं है। यह खबर उस खामोश समाज के बीच खड़े एक इंसान की है, जिसने यह मानने से इनकार कर दिया कि अब कुछ नहीं हो सकता। उत्तराखंड के भीमताल क्षेत्र के ग्राम खमारी में जंगल के किनारे टूटे-फूटे हालातों में जीवन काट रही थीं दो बहनें खुशी आर्य और मंजू आर्य। माता-पिता का निधन हुए डेढ़ साल बीत चुका था। सरकारी कागज़ों में वे लाभार्थी थीं, लेकिन ज़मीन पर वे अदृश्य थीं। न पेंशन, न छत, न चूल्हा, न सुरक्षा और न ही यह भरोसा कि कल का सूरज उनके लिए भी उगेगा। तब सामने आए हेमंत गोनिया। समाजसेवी हेमंत गोनिया ने इस कहानी को दया की नजर से नहीं देखा, बल्कि अधिकार की नजर से देखा। उन्होंने सिर्फ मदद नहीं की, उन्होंने सवाल उठाए प्रशासन से, व्यवस्था से, और हम सब से। 16 दिसंबर को काठगोदाम–हेड़ाखान मार्ग स्थित ग्राम सभा ओखलढूंगा के संभल रेस्टोरेंट में एक सादा लेकिन बेहद भावुक आयोजन हुआ। यहां कोई मंच नहीं था, कोई भाषण नहीं था, बस ज़रूरत थी और ज़रूरत का सामान। इन दो अनाथ बहनों को दिया गया गैस चूल्हा, सिलेंडर, रेगुलेटर, पाइप बिस्तर, चादर, तकिया और रोज़मर्रा के आवश्यक बर्तन। यह सहयोग संभव हुआ कई समाजसेवियों के संयुक्त प्रयास से जिनमें मुकुल शर्मा, दिग्विजय देव, अमित रस्तोगी, डॉ. गौरव सिंघल, डॉ. महेश शर्मा, डॉ. मोहन सती, डायरेक्टर बृजेश बिष्ट, मयंक शर्मा, भरत खाती, संतोष बुटोलिया, बी.डी. छिमवाल, रेंजर नवीन कपिल, राजपाल लेधा, अशोक कटारिया (बजरंग मोटर्स), प्रत्यूष सिंह, रविशंकर लोसाली और कई ऐसे नाम, जो अक्सर खबरों में नहीं आते लेकिन बदलाव वहीं से आता है। समाजसेवी हेमंत गोनिया का संघर्ष यहीं नहीं रुका। ग्रामीणों के सहयोग से 20,000 रुपये जुटाकर घर पर टीन शेड की छत डलवाई गई, बच्चों की पेंशन स्वीकृत कराई गई, शासन स्तर पर शिकायत कर पैतृक भूमि उनके नाम दर्ज करवाई गई और इंदिरा आवास योजना की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। यह वह काम है, जो फाइलों में संभव नहीं बताया जाता है। इतना ही नहीं बड़ी बेटी के लिए रोजगार की व्यवस्था कराई गई, छोटी बेटी के लिए वात्सल्य योजना, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, हरमन माइनर बोर्डिंग स्कूल जैसे विकल्पों पर प्रयास किए गए इसका अंतिम निर्णय बच्चियों की इच्छा से लिया गया क्योंकि यह मदद नहीं थी, यह उनकी ज़िंदगी का अधिकार था। इस मौके पर ध्यान सिंह नेगी, कैलाश सिंह संभल, शोबन सिंह संभल, लीला देवी, बसंती देवी, पूरन सिंह संभल, बहादुर सिंह बिष्ट सहित ग्रामीणों ने इस प्रयास की खुलकर सराहना की। कुल मिलाकर भीमताल क्षेत्र में समाजसेवी हेमंत गोनिया के नेतृत्व में दो अनाथ बहनों को जीवन की मूलभूत सुविधाएँ, पेंशन, आवास, शिक्षा और भूमि अधिकार दिलाए गए। यह पहल दिखाती है कि जब समाज जागता है, तो सिस्टम को भी झुकना पड़ता है।

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