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डीपीएस हल्द्वानी में समर कैंप ‘UTSAHA 2025’ का जोश से भरा समापन

हल्द्वानी: एक जगह है जहाँ गर्मी की छुट्टियाँ सिर्फ आराम करने के लिए नहीं, कुछ नया गढ़ने के लिए होती हैं। जहाँ बच्चों की हँसी, रंगों की बौछार और साहस की कहानियाँ हर कोने में गूंजती हैं। हम बात कर रहे हैं दिल्ली पब्लिक स्कूल हल्द्वानी के समर कैंप UTSAHA 2025 की, जो बच्चों के लिए सिर्फ एक कैंप नहीं, बल्कि यादों, अनुभवों और सीख की एक जीवंत किताब बन गया।
ज़ुम्बा से लेकर ज़िपलाइन तक हर दिन एक नई कहानी
प्री-नर्सरी से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों ने ज़ुम्बा, डांस, फिटनेस फिएस्टा, स्विमिंग और वर्चुअल रियलिटी जैसी गतिविधियों से दिन की शुरुआत की वो भी ऐसी शुरुआत जिसमें थकान नहीं, बस ऊर्जा थी। और फिर आए वो दिन, जब एरोबिक्स, स्केटिंग, पेपर क्राफ्ट और ओरिगामी ने बच्चों की कल्पनाओं को पंख दिए। तीन दिन का एडवेंचर कैंप इस समर कैंप की रूह बनकर उभरा। कमांडो नेट से लेकर ऊँट की सवारी, ज़िपलाइन से लेकर वॉल क्लाइंबिंग तक, हर गतिविधि ने बच्चों के भीतर छिपे साहसी को बाहर लाया। कहीं टीम भावना दिखी, तो कहीं आत्मविश्वास ने उड़ान भरी। क्ले मॉडलिंग हो या टी-शर्ट पेंटिंग, कुकिंग विदआउट फायर हो या ‘साइंस इज़ फन’ बच्चों ने सीखा कि सीखने का सबसे अच्छा तरीका है, उसे जीना। पत्थरों और पत्तों से कला बनाना, टेबल एटीकेट्स सीखना ये सब किताबों से नहीं, अनुभवों से आया। अंतिम दिन आयोजित ‘कल्मिनेशन सेरेमनी’ में बच्चों को प्रमाण पत्र दिए गए। पर असली इनाम तो उनकी चमकती आँखों में था वो जो हर अनुभव को अपने अंदर समेटे हुए थीं। मूवी सेशन, फायरलेस कुकिंग और प्याजामा पार्टी ने विदाई को भी एक जश्न बना दिया। प्रधानाचार्या ने कहा “UTSAHA सिर्फ समर कैंप नहीं, बच्चों के भीतर की चमक को पहचानने और निखारने की एक यात्रा थी। और यूँ समर कैंप खत्म नहीं हुआ, बल्कि एक ऐसा किस्सा बन गया, जिसे बच्चे सालों तक दोहराते रहेंगे। क्योंकि जब स्कूल छुट्टी पर हो, और सीखना जारी रहे वही तो है असली UTSAHA।

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