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बाघ को पकड़ने को लेकर सीमा विवाद में उलझे वन अधिकारी

हल्द्वानी। शहर में बाघ के मूवमेंट से लोगों में दहशत बढ़ती जा रही है। पहले हल्द्वानी शहर के तिकोनिया तिराहे के गुरू तेग बहादुर गली के एक छत में बाघ देखा गया, उसके बाद लालडांढ़ इलाके में बाघ देखे जाने की बात सामने आयी और अब काठगोदाम में बैराज के पास बाघ से एक दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता पत्रकार दीपक भंड़ारी का आमना सामना हुआ, गनीमत यह रही कि अब तक कोई अनहोनी नहीं हुयी। इस संबंध में जब हमारी पत्रकार दीपक भंडारी से बात हुई तो उन्होंने बताया कि बाघ उनके छत की तरफ जाने वाली सीढ़ियों पर बैठा हुआ था, और उन्होंने किसी तरह छत से नीचे कुदकर अपनी जान बचायी। दीपक ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में वन विभाग के चारों रेंजरों को इसकी सूचना दी, पर उन्होंने यह क्षेत्र उनके रेंज में ना आने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। यहां सवाल यह है कि क्या वन विभाग शहर में किसी अप्रिय घटना के घटित होने का इंतजार कर रहा है? क्या घटना घटित होने के बाद ही वन विभाग के आला अधिकारी कुंभकरणीय नीद से जागगें। अक्सर होता यह है कि कोई अप्रिय घटना घटित होने के बाद वन विभाग का पूरा अमला हरकत में आ जाता है, घटना घटित होने के बाद आला अधिकारियों के द्वारा इसे लेकर तमाम तरह की बयानबाजी व दावे किये जाते है। जब कि वर्तमान में शहरवासियों द्वारा कितनी ही मर्तवा शहर में बाघ देखे जाने के बाद वन विभाग को सूचित किया जा चुका है। वैसे भी बाघ के शहर में होने की मूवमेंट सी.सी.टी.वी कैमरे में कैंद हो चुकी है। इसके बाद भी वन विभाग द्वारा रेंज (सीमा) का तो कभी अन्य तकनीकी कारण बता कर कार्रवाई से पल्ला झाड़ लिया जाता है। शहर में बाघ के मूवमेंट को लेकर वन विभाग रेंज-रेंज का खेल खेलने में मशगूल है। लगता है वन विभाग शहर में किसी अप्रिय घटना के घटित होने का इंतजार कर रहा है।

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