

कई वर्षो से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत है दमूआढूँगा सहित अन्य वार्डों के लोग
हल्द्वानी: नगर निकाय चुनाव में इस बार जमीन के पट्टे या पट्टे की जमीन बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। हजारों मतदाता इस आधार पर अपना वोट डालने का निर्णय ले रहे हैं, क्योंकि यह उनके अस्तित्व का सवाल बन चुका है। इस मुद्दे को लेकर दबाव समूह बन चुके हैं और ये मतदाता भाजपा, कांग्रेस समेत अन्य दलों के मेयर और पार्षद प्रत्याशियों से आश्वासन मांग रहे हैं।
हालांकि, उम्मीदवार इनसे व्यक्तिगत रूप से वायदा कर रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक तौर पर ठोस वायदे देने से बच रहे हैं। प्रत्याशी अपना एक्शन प्लान भी नहीं बता रहे, जिससे मतदाताओं में जबरदस्त गुस्सा है। बावजूद इसके, उनके पास अधिक विकल्प नहीं हैं।
वामपंथी और क्षेत्रीय दल इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते रहे हैं। महानगर के इंदिरा नगर, राजपुरा नई बस्ती, दमूआढूँगा, बनभूलपूरा और टनकपूर रोड जैसे क्षेत्रों में बड़ी संख्या में मतदाता पट्टे वाली जमीन से जुड़े हैं, जिनसे सरकार ने अब तक राहत नहीं दी है। यह एक नीतिगत मसला है, जिसे लेकर कानून बनाया जा सकता था या अध्यादेश भी लाया जा सकता था।
लेकिन अब तक सरकार की तरफ से इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे हजारों गरीब मतदाता चुनावी वादों के दायरे में आ गए हैं। इस चुनाव में यह मुद्दा बहुत बड़ा बन चुका है, लेकिन मुख्यधारा के राजनीतिक दल और प्रत्याशी इससे किनारा कर रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता व वार्ड 12 से चुनाव लड़ रही प्रीति आर्या का कहना है कि उन्होंने व उनके पति हेमंत साहू ने इस मसले को लगातार उठाया, क्योंकि वह खुद राजपुरा नई बस्ती के निवासी हैं और वहां के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। उनका मानना है कि यदि सरकार हजारों लोगों के पक्ष में फैसला लेती है तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।





