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हल्द्वानी। स्कूल शब्द से दिमाग में नौनिहालों के भविष्य का चित्र उभरने लगता है, जहां से उनके जीवन मार्ग को अपने अपने नजरिए से देखा जाता है। पर उत्तराखंड में स्कूलों का हाल देख लोग हैरान परेशान हैं, प्राइवेट स्कूल ठीक से सांस नहीं लेने देते और सरकारी स्कूल लगातार बंद किए जा रहे हैं। हालिया आंकड़ों को देखें तो बेहद चिंताजनक हैं, राज्य में तीन हजार से ज्यादा स्कूल, 22 पॉलीटेक्निक कॉलेज और 50 के आसपास आईटीआई बंद कर दिए गए हैं। बात यहीं नहीं रुकती, अभी 240 इंटर कॉलेज बंद किए जाने को चिन्हित कर लिए गए हैं ।
शिक्षा का जो तमाशा इस राज्य में हुआ है, वो शायद ही कहीं देखने को मिले। सीबीएसई में कुछ कायदे कानून दिखाने भर के हैं तो सही पर उत्तराखंड बोर्ड में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। सीबीएसई में स्कूल खोलने के लिए 2 एकड़ भू-भाग की जरूरत है तो, उत्तराखंड बोर्ड में 1 से 3 बीघा के बीच। सब बाबूओं के हाथ गर्म करने पर है। फिर तो बाबुओं से कुछ भी काम अपने हिसाब से कराते चलो। इसी वजह से कई स्कूल अवैध तरीके से चलाए जा रहे हैं। जबकि कुछ साल पहले एक नियम आया है जिसे “यू डायस” के नाम से जाना जाता है। “यू डायस” क्या है? इसका जिक्र हम आगे करेंगे, पहले हल्द्वानी में अवैध तरीके से चलाए जा रहे स्कूलों को जान लेते हैं।
शिक्षा विभाग की उदासीनता के चलते धनपुरी, हरिपुर, कुंवर सिंह, हल्द्वानी में एक ऐसे ही स्कूल का संचालन किया जा रहा है, जिसका नाम “रत्ना रंजना एकेडमी” है। स्कूल के बाहर नर्सरी से आठवीं तक एडमिशन का बोर्ड चस्पा किया गया है। जबकि अभी स्कूल को मान्यता नहीं मिली है, यह स्कूल एक आवासीय परिसर में संचालित किया जा रहा है। जिसमें नर्सरी क्लास के करीब 20 विद्यार्थियों का दाखिला भी हो गया है। इस बाबत हमने उप शिक्षा अधिकारी सुरेश आर्य से बात की तो एक बार उन्होंने फोन उठाया पर कुछ बोले नहीं और फोन कट गया, अब दो दिन से उनका फोन बंद चल रहा है। फिर जब हमने पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी हरेंद्र मिश्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि, स्कूल मान्यता से पहले आपके पास 30 बच्चे होना अनिवार्य है 20 बच्चों में मान्यता नहीं मिल सकती। “यू डायस” के सवाल पर वो भी कुछ नहीं कह सके।
अब सवाल है कि, मान्यता है नहीं, बिल्डिंग बनी नहीं है, आर्थिक राजनैतिक हालत के बदलते बिल्डिंग नहीं बनी या कुछ और घटनाक्रम हुआ ऐसे में उन बच्चों का क्या होगा ? बच्चे कक्षा दर कक्षा आगे बढ़ेगे और उनका “यू डायस” नंबर नहीं होगा तो बच्चे कहीं के नहीं रहेंगे।

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क्या बला है यू डायस

पिछले कुछ सालों में भारत सरकार ने अवैध तरीके से संचालित किए जाने वाले स्कूलों पर लगाम लगाने को “यू डायस” सिस्टम बनाया है। जिसमें किसी भी सरकारी या गैर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का संपूर्ण विवरण होता है। यह सारे बच्चों की अलग-अलग पहचान संख्या होती है। जिसे पैन नंबर भी कहा जाता है। स्कूल बदलते समय इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है, चाहे शहर के भीतर ही स्कूल बदलें, शहर बदलें, जिला बदलें या फिर राज्य बदलें। जैसे कोई बच्चा किसी स्कूल को छोड़ता है तो वह स्कूल उसके नंबर को “यू डायस” के ड्रॉप बॉक्स में डाल देता है और वो जिस नए स्कूल में दाखिला लेना चाहता है तो वो नया स्कूल यू डायस सिस्टम में जाकर इसके पुराने स्कूल के ड्रॉप बॉक्स से वह नंबर पैच कर लेता है। ऐसा न होने की स्थितियों में बच्चे नए स्कूल में दाखिला ले ही नहीं पाएगा। ऐसे हालात में “रत्ना रंजना एकेडमी” में जो चल रहा है वो बच्चों के भविष्य के लिए ठीक होगा यह मानना सच से मुख फेरना ही होगा। हालांकि जब हमने स्कूल प्रबंधन से बात की तो उनका कहना था कि हमने स्कूल बिल्डिंग के लिए 2 बीघा का भूखंड लिया हुआ है उस पर जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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