ख़बर शेयर करें -

-उत्तराखंड में 31 अक्टूबर व 1 नवंबर दोनों दिन दीवाली की छुट्टी

देहरादून। न भूतो – न भविष्यति। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था और शायद भविष्य में भी न हो। उत्तराखंड सरकार ज्योतिषियों की चलाई ग्रह चाल में उलझकर रह गई और ऐसी उलझी कि इतिहास में पहली बार दीपावली का सार्वजनिक अवकाश लगातार दो दिन का घोषित करना पड़ा। अब 31 अक्टूबर व 1 नवंबर दो दिन लगातार दीपावली का सार्वजनिक अवकाश रहेगा।
हिंदू त्यौहारों को लेकर प्रायः हर वर्ष ही ज्योतिषियों में मतभेद बना रहता है और धर्मावलंबियों में संशय की स्थिति बनी रहती है। कभी रक्षाबंधन पर भद्रा का साया उसे दिन तक मनवा देता है तो कभी होली पर मुहूर्त विभेद उसे दो दिन खींच देता है। लेकिन होली को लेकर यह स्थिति पहली बार आई है जब दीपावली के मुहूर्त और पूजन काल को लेकर ज्योतिषीय गणना के जानकारों में इतने व्यापक स्तर पर मतभेद उभर कर सामने आए हों।
ज्योतिषियों की धारणा या निर्णय चाहे कुछ भी रहे हों, लेकिन राजकाज कभी उनसे विचलित नहीं हुए। चंद्र दर्शन पर आधारित मुस्लिम त्योहारों को छोड़कर अन्य पर्वों पर हमेशा शासकीय अवकाश उन्हीं तिथियों पर बने रहे, जो वर्ष के आरंभ में सार्वजनिक अवकाश के कैलेंडर में घोषित कर दिए जाते थे। यह पहली बार हुआ कि सरकार को बंटी हुई धारणाओं और मान्यताओं के बीच दो दिन का अवकाश घोषित करना पड़ा।
उत्तराखंड सरकार ने अभी कल ही 31 अक्टूबर को दीपावली के सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की थी। इस घोषणा के होते ही 1 नवंबर की मान्यता वालों ने शोर मचा दिया और इस दिन ही अवकाश का आग्रह कर दिया। सरकार के सामने दुविधा की स्थिति थी। वह 31 अक्टूबर के लिए घोषित अवकाश को निरस्त कर अगले दिन अवकाश घोषित करती तो इससे 31 अक्टूबर वालों के नाराज होने का खतरा था। इसलिए बीच का रास्ता निकाला गया। 31 अक्टूबर के साथ-साथ 1 नवंबर को भी दीपावली का सार्वजनिक अवकाश घोषित कर दिया। तुम भी खुश और वो भी प्रसन्न। इस संबंध में आज बुधवार को विधिवत शासन से आदेश जारी कर दिया गया।   

यह भी पढ़ें 👉  कलोनिया चौकी से लापता वन दरोगा का शव मिला

क्या है मतभेद

जो ज्योतिषी इस बात से सहमत हैं कि दीवाली 31 अक्टूबर, 2024 को मनाई जानी चाहिए, उनका तर्क यह है कि अमावस्या उस रात के दौरान रहेगी। इसलिए लक्ष्मी पूजन का महत्वपूर्ण समय भी इसी समय के भीतर आएगा, जो दीवाली का मुख्य अनुष्ठान है अमावस्या  31 अक्टूबर को दोपहर 3:52 बजे शुरू होती है और  1 नवंबर को शाम 6:16 बजे समाप्त होती है। प्रसिद्ध ज्योतिष पत्रिका एस्ट्रोसेज जर्नल के अनुसार यह समय संकेत देता है कि अनुष्ठानों का सबसे शुभ समय  31 अक्टूबर की रात को है, क्योंकि उस रात को देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित किया गया है, वही इसके विपरीत जो ज्योतिष 1 नवंबर को दीवाली मनाने की बात कर रहे हैं, उनका दावा है कि तकनीकी रूप से अमावस्या उस दिन आती है, तो अनुष्ठान उस दिन किए जा सकते हैं। उत्तराखंड के कुछ स्थानीय पंचांग भी 1 नवंबर को ही दीपावली मनाने के पक्षधर हैं। कुमाऊं मंडल के कुछ ज्योतिषियों ने तो पिछले दिनों विधिवत प्रेस कान्फ्रेंस कर दीपावली 1 नवंबर को ही मनाने की घोषणा की थी।  
 

 

Advertisement
Ad Ad Ad Ad Ad Ad

Comments

You cannot copy content of this page