

महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर आईजी कुमायूँ की नई पहल
नैनीताल। उत्तराखण्ड के कुमायूँ परिक्षेत्र में महिलाओं की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बार फिर उम्मीदों की लौ जल उठी है। पुलिस महानिरीक्षक कुमायूँ परिक्षेत्र, श्रीमती रिधिम अग्रवाल द्वारा शुरू की गई “कोशिश… फिर एक नयी आशा” नामक पहल अब महिला सुरक्षा के मुद्दों पर एक ठोस कदम के रूप में उभर रही है। यह पहल एसएसपी ऊधमसिंहनगर के कार्यकाल में “कोशिश… एक आशा” के रूप में प्रारंभ हुई थी और अब पूरे कुमायूँ क्षेत्र में इसे विस्तार दिया जा रहा है।
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर संवाद का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया, जिसमें राज्य नोडल अधिकारी महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास, सुश्री आरती बलोदी, कुमायूँ रेंज के सभी जनपदों के सीडब्ल्यूसी व वन स्टॉप सेंटर के सदस्य, महिला हेल्पलाइन प्रभारी व अन्य पुलिस अधिकारी शामिल हुए।
“कोशिश” होगी कारगर हथियार
गोष्ठी की शुरुआत में आईजी रिधिम अग्रवाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा, महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ कानून का विषय नहीं, समाज की ज़िम्मेदारी है। इस दिशा में पुलिस महकमा अब सिर्फ कानून लागू करने वाला नहीं बल्कि एक संवेदनशील साथी के रूप में पीड़िताओं के साथ खड़ा होगा।
महिला हेल्पलाइन में आने वाली हर पीड़िता से शालीनता और संवेदनशीलता से व्यवहार करने के सख्त निर्देश दिए गए। कहा गया कि अक्सर पीड़िता पुलिस स्टेशन की सीढ़ी चढ़ते हुए टूट चुकी होती है, ऐसे में पुलिस का व्यवहार ही उसकी पहली काउंसलिंग हो सकता है।
बताया कि गर्मी की छुट्टियों में सभी जनपदों में बालिकाओं के लिए सेल्फ डिफेंस कैम्प लगाए जाएंगे। स्कूलों के खुलते ही हर हफ्ते एक दिन सेल्फ डिफेंस वर्कशॉप आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए जिलाधिकारियों व जिला कार्यक्रम अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर प्रशिक्षक नियुक्त करने की कार्यवाही की जाएगी।
आईजी ने ज़ोर देकर कहा कि महिला अपराधों में संलिप्त आरोपियों को शत प्रतिशत कठोर सजा दिलाना ज़रूरी है। इसके लिए केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत हर केस की मॉनिटरिंग की जाएगी, अदालत में गवाही हो रही है या नहीं, अभियुक्त पेश हो रहा है या नहीं, सब कुछ बारीकी से देखा जाएगा।
यह बात सामने आई कि वन स्टॉप सेंटरों और सीडब्ल्यूसी के साथ जुड़े विशेषज्ञ अक्सर उपलब्ध नहीं हो पाते, ऐसे में पुलिस ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (बेंगलुरु) से समन्वय कर नोडल अधिकारियों, विवेचकों और हेल्पलाइन कर्मियों को प्रशिक्षण देने की तैयारी शुरू कर दी है। ताकि मानसिक स्वास्थ्य के मोर्चे पर भी पीड़िताओं को संबल मिल सके।
जनपद ऊधमसिंहनगर की सीडब्ल्यूसी सदस्य ने बताया कि कई पीड़िताएं आधार कार्ड के अभाव में डीएलएसए से मुआवजा नहीं ले पा रही हैं। इस पर निर्देश दिया गया कि विवेचक आरंभिक काउंसलिंग के दौरान ही आधार कार्ड की स्थिति की जांच करें और न होने पर तत्काल बनवाने की प्रक्रिया शुरू करें।
कतिपय एनजीओ द्वारा मानव तस्करी रोकथाम के कार्यों में सहयोग के लिए जनपद प्रभारियों को निर्देश दिया गया कि आगामी 6 माह में डोर-टू-डोर सर्वे कर यह पता लगाया जाए कि किन क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं अधिक हो रही हैं। ताकि समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सके।
‘डिस्ट्रिक्ट हब प्रोग्राम’ अधिकारियों को भी अब जागरूकता कार्यक्रमों में स्कूल-कॉलेजों में सक्रिय रूप से शामिल किया जाएगा ताकि बेटियों को उनके अधिकारों और योजनाओं की जानकारी मिल सके। इसी के साथ महिला हेल्पलाइन प्रभारियों, विवेचकों और पुलिस सुविधा अधिकारियों को मासिक अपराध गोष्ठियों में पुरस्कृत करने की योजना से एक सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश की जाएगी।
यह पहल सिर्फ एक प्रशासनिक योजना नहीं बल्कि आशा और बदलाव की एक ठोस शुरुआत है। महिला अपराधों की रोकथाम से लेकर पुनर्वास, न्याय और आत्मबल तक एक समग्र रणनीति तैयार की गई है। आईजी रिधिम अग्रवाल की यह सोच केवल आदेश नहीं, एक संकल्प है कि अब हर बेटी, हर महिला डर के साए में नहीं, सशक्त होकर जी सके।