

तो जनाब, आज अमेरिका ने ईरान पर बम गिरा दिए। जी हां, वही अमेरिका, जो हर दूसरे दिन लोकतंत्र और मानवाधिकारों का पाठ पढ़ाता है। और ये काम किसने किया? वही ट्रंप साब, जो चुनावों में हार मानने को तैयार नहीं थे, लेकिन अब युद्ध की घोषणा बड़े ठाठ से कर रहे हैं।
ट्रंप ने कहा अब शांति का समय है।
मतलब जैसे ही उन्होंने फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बी-2 बमवर्षकों से बम गिराए, उन्हें अचानक अहसास हुआ कि अब शांति होनी चाहिए। पहले बम गिराइए, फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में शांति की अपील कीजिए। यह वही नैतिकता है, जो व्हाइट हाउस की दीवारों पर सजाई जाती है सोने के फ्रेम में।
बी-2 स्टील्थ बमवर्षक मिसौरी से उड़ते हैं, 30,000 पाउंड का बंकर बस्टर बम लेकर आते हैं, और फोर्डो की अंडरग्राउंड साइट पर गिरा देते हैं। उसके बाद ट्रंप ट्वीट करते हैं “No other military can do this. Time for peace.”
वाह ट्रंप साहब! क्या समय चुना है शांति का। जैसे कोई कहे “खाना हो गया, अब चलो उपवास करते हैं।”
इस हमले से एक बात तो साफ हो गई अब अमेरिका ने भी अपना ‘शांति स्थापन’ कार्यक्रम चालू कर दिया है। बम के साथ। और इस सब में मज़े की बात ये है कि मीडिया के कुछ हिस्से इसे ‘निर्णायक नेतृत्व’ कह रहे हैं। जैसे इतिहास की किताबों में लिखा जाएगा और फिर, ट्रंप आए, उन्होंने बम गिराया और दुनिया में शांति फैल गई।
ईरान के लिए ये हमला सिर्फ एक युद्ध की शुरुआत नहीं, बल्कि इतिहास की एक नई लड़ाई है। 1979 की क्रांति के बाद यह पहली बार है जब अमेरिकी सेना ने खुले तौर पर ईरान की ज़मीन पर बम गिराए हैं। और ये फैसला उस ट्रंप ने किया है, जो व्हाइट हाउस में फिर से आने की कोशिश में हैं।
तो आप पूछ सकते हैं क्या ये हमला रणनीतिक है या राजनीतिक? जवाब आपको नहीं मिलेगा, क्योंकि जो बम गिराते हैं, वही जवाब भी लिखते हैं।
फिलहाल के लिए इतना ही।
क्योंकि अब, जैसा कि ट्रंप ने कहा अब शांति का समय है! और अगर ऐसी ही शांति होती है, तो खैर, हम सबको हेलमेट पहन लेना चाहिए।