एक लाख से ज्यादा की आबादी वाला डर्ना शहर अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है, चारों तरफ टूटी इमारतें, कीचड़, कारों के ऊपर लदी कारें दिख रही हैं
नई दिल्ली (एजेन्सी)। बांध टूटने से कितना भयावह मंजर हो सकता है, इसका अंदाजा लीबिया के डर्ना शहर को देख कर हो जाता है। बांध टूटने से घरों में पानी और कीचड़ भर गया। मिट्टी और मलबे से अनगिनत शव निकलते जा रहे हैं। सड़ते-गलते जा रहे शवों की वजह से अब वहां बीमारियां फैलने का खतरा मंडरा रहा है। एक लाख से ज्यादा की आबादी वाला डर्ना शहर अब पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। चारों तरफ टूटी इमारतें, कीचड़, कारों के ऊपर लदी कारें दिख रही हैं।
किसी को नहीं पता कि कीचड़ में पैर रखेंगे तो नीचे किसी का शव मिलेगा। इसमें तबाही में 50 हजार से ज्यादा लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही है। डर्ना में यूगोस्लाविया की एक कंपनी ने 1970 में दो बांध बनवाए थे। पहला बांध 75 मीटर ऊंचा था। उसमें 1.80 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी आता था। दूसरा बांध 45 मीटर ऊंचा था। वहां 15 लाख क्यूबिक मीटर पानी जमा था। हर क्यूबिक मीटर पानी में एक टन वजन होता है। दोनों डैम में करीब 2 करोड़ टन पानी था। जिसके नीचे डर्ना शहर बसा था। दोनों बांधों को कॉन्क्रीट से बनाया गया था। उसमे ग्लोरी होल भी था। ताकि पानी ओवरफ्लो न हो, लेकिन इसमें लकड़ियां फंस गईं थीं। ये बंद हो चुका था। मेंटेनेंस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। कचरा जमा होता चला गया। इस वजह से तूफान के बाद हुई बारिश से बांध में तेजी से पानी भरता चला गया। डैनियल तूफान लगातार एक हफ्ते तक बरसता रहा है। डर्ना का स्थानीय प्रशासन इस चीज को लेकर तैयार नहीं था। तूफान आया तो पहले बड़ा डैम भरा और जब यह पानी की मात्रा संभाल नहीं पाया तो पानी ऊपर से बहने लगा। थोड़ी देर में वह टूट गया। एक साथ 1.80 करोड़ टन पानी नीचे की ओर बढ़ा। इतने पानी को निचले इलाके वाले डैम में रोकने की ताकत नहीं थी। छोटा डैम भी टूट गया और फिर क्या था पूरे शहर पानी की चपेट में आ गया।