
हल्द्वानी में ध्वज सिर्फ काग़ज़ का नहीं यादों, बलिदानों और हमारी ज़िम्मेदारी का है
हल्द्वानी। साल के आख़िरी महीनों में जब हवा थोड़ी ठंडी हो जाती है, तो देश के लिए गर्म खून बहा देने वालों की याद भी ज़रा ज़्यादा ठहर-ठहरकर आती है।
7 दिसम्बरसशस्त्र सेना झंडा दिवस। नाम बहुत छोटा है, लेकिन इसके पीछे खड़े शहीदों की कहानियाँ इतनी लंबी कि किसी भी शहर की सड़कें छोटी पड़ जाएँ।
आज हल्द्वानी के जिला सैनिक कल्याण कार्यालय में वही दिन मनाया गया। कर्नल रमेश सिंह (अ.ग्रा.) और लेफ्टिनेंट कर्नल बी.एस. रौतेला (अ.प्रा.) खुद जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल के कैंप कार्यालय पहुँचे और उन्हें टोकन फ्लैग लगाया एक छोटा सा झंडा, जो हममें से बहुतों के लिए बस प्रतीक हो सकता है, लेकिन जिन परिवारों ने अपने बेटे, पिता या भाई खोए हैं, उनके लिए यह झंडा एक न बोलने वाली किताब है। कार्यक्रम में मौजूद पूर्व सैनिकों और एनसीसी कैडेट्स को बताया गया कि यह दिन सिर्फ रस्म नहीं है। यह याद दिलाने का दिन है कि वर्दी पहनने वालों ने हमें सुरक्षित रखने के लिए क्या-क्या खोया। और फिर, हल्द्वानी की सड़कों पर उतरे एनसीसी कैडेट रैली लेकर, आवाज़ लगाते हुए, लोगों के सीने पर टोकन फ्लैग लगाते हुए। वही बच्चे जिनके सपनों में शायद कल वर्दी पहनने की इच्छा होगी। उन्होंने लोगों से कहा थोड़ा-सा दान, बहुत बड़ा सम्मान।
शहर के बाज़ारों में लोग रुके, सुना, कुछ ने दान दिया, कुछ ने सिर्फ मुस्कुराकर आगे बढ़ जाना ही ठीक समझा। लेकिन कैडेट्स चलते रहे क्योंकि सम्मान रुकना नहीं चाहिए।
कार्यक्रम में कर्नल रमेश सिंह, ले. कर्नल रौतेला, कैप्टन मदन सिंह राठौर, कैप्टन डी.के. जोशी, ब्लॉक प्रतिनिधि और सैनिक कल्याण कार्यालय के कर्मचारी मौजूद रहे।
आज हल्द्वानी में झंडे बेचे नहीं गए, बाँटे नहीं गए आज हल्द्वानी में यादें, कर्तव्य और सम्मान लोगों की छाती पर टांके गए।
