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देहरादून। मंदिर है मेरा, लोग मेरी पूजा करते हैं…” ये कोई फिल्मी डायलॉग नहीं, बल्कि बॉलीवुड अभिनेत्री उर्वशी रौतेला का वो बयान है, जो इन दिनों सोशल मीडिया की आग में घी का काम कर रहा है। इंटरव्यू में कह दिया कि बद्रीनाथ धाम के पास उनका मंदिर है, और फिर क्या था बयान वायरल हो गया और विवाद खड़ा।
लेकिन जब सच की परतें खुलीं तो सामने आया कि जिस ‘उर्वशी मंदिर’ की बात उर्वशी रौतेला कर रही थीं, उसका उनसे कोई लेना-देना नहीं है।
ये मंदिर सदियों पुराना है, पौराणिक मान्यताओं पर आधारित है और स्थानीय श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र है।
अब सवाल ये नहीं कि उर्वशी रौतेला ने क्या कहा, सवाल ये है कि क्या अब प्रचार के लिए देवभूमि के मंदिरों को भी मोहरा बनाया जाएगा?
बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवन नौटियाल ने इस बयान को लेकर गहरी नाराज़गी जताई है। उन्होंने कहा, “देवी उर्वशी के मंदिर को निजी प्रचार के लिए जोड़ना न केवल निंदनीय है बल्कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला भी है।”
ब्रह्मकपाल तीर्थ पुरोहित समाज के अध्यक्ष अमित सती ने भी तीखा रुख अपनाते हुए कहा, “उर्वशी रौतेला को चाहिए कि वो तुरंत माफी मांगें और अपने शब्दों को वापस लें।”
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सितारे अपनी लोकप्रियता के नाम पर कुछ भी बोल सकते हैं? क्या सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहने की होड़ में धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ किया जा सकता है?
अब देखना ये है कि उर्वशी रौतेला इस विवाद पर साफ सफाई देती हैं या खामोशी ओढ़ लेती हैं।
लेकिन देवभूमि के लोगों का कहना साफ है, “श्रद्धा के नाम पर प्रचार मत कीजिए, देवी को ब्रांडिंग का जरिया मत बनाइए!”

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