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राजेश सरकार
हल्द्वानी। ‘क्या बताएं आप से हम हाथ मलते रह गए, गीत सूखे पर लिखे थे, बाढ़ में सब बह गए’। यह पंक्तियां आज उत्तराखंड कांग्रेस पर सटीक बैठती हैं। आज हम अपने पाठकों को नैनीताल लोकसभा में कांग्रेस के उस दौर से रु-ब-रु करा रहे हैं जो कभी उसका ‘गोल्डन पीरियड’ हुआ करता था। वैसे तो राजनीति में ‘साम, दाम, दंड, भेद’ सब जायज है लेकिन नैनीताल लोकसभा सीट में कांग्रेस का इतिहास ज्यादातर गैर विवादित ही रहा है।

क्रीम लीडरशिप’ के जब पड़ते थे कदम

‘हल्द्वानी में कभी कांग्रेस के कददावरों का आवागमन आम बात हुआ करती थी। हल्द्वानी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर सीबी गुप्ता, आस्कर फर्नाडिज तक मंथन करते थे। यहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अलावा मोती लाल वोरा और जितेंद्र प्रसाद के अलावा न जाने कितने ही नेता हल्द्वानी से लगाव के चलते यहां आये थे। अब चाहे चुनावी प्रचार हो या फिर कांग्रेस कार्यालय का दौरा। कांग्रेस की समर्पित टीम को देखते हुए यहां पार्टी हाईकमान भी खासी दिलचस्पी लेता था। ऑस्कर फर्नांडीज जैसे नेता ने तो खुद कांग्रेस कार्यालय आने की इच्छा व्यक्त की और आए भी।

मुख्यमंत्री सम्मेलन में आए थे पीएम से लेकर 13 राज्यों के सीएम

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सरोवर नगरी नैनीताल में ही कांग्रेस शासित राज्यों का मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन वर्ष 2006 सितंबर में आहूत हुआ था। दो दिवसीय इस सम्मेलन में खुद कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी, तत्कालीन प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह के साथ ही काग्रेस शासित राज्यों के 13 मुख्यमंत्रियों ने शिरकत की थी। तब से ही कांग्रेस में नैनीताल का रुतबा और बढ़ गया।

शहर और जिला कार्यालय थे एक, इतनी एक्टिव थी कांग्रेस

हल्द्वानी में उस समय की कांग्रेस इतनी एक्टिव थी कि जिला और शहर कमेटियां एक ही दफ्तर (स्वराज आश्रम) में चलती थीं। डीके पार्क स्थित काग्रेस भवन स्वराज आश्रम में पार्टी का दफ्तर था व एक बड़ा हाल जहां बड़ी बड़ी सभाएं आयोजित होती थी।

कांग्रेस कार्यालय से लखनऊ घनघनाते थे फोन

पार्टी से जुड़े पुराने लोग बताते हैं कि जब अभिभाजीत उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी तब हल्द्वानी स्थित काग्रेस भवन स्वराज आश्रम की खासी एहमियत हुआ करती थी। हालत यह थे कि सिफारिश करने वालों का यहां जमावड़ा लगा रहता था और यहां से फोन लखनऊ तक घनघनाते थे।

उत्तराखंड ने देखा है कांग्रेस का ‘गोल्डन पीरियड’, आज ‘बैसाखियों’ का सहारा

उत्तराखंड में कांग्रेस ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। आजादी मिलने के बाद से कई सालों तक हल्द्वानी में कांग्रेस का ऐसा दबदबा था कि जब अभिभाजीत उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी तब हल्द्वानी कांग्रेस कार्यालय ‘वीआईपी’ कैटेगिरी में शुमार था। उगते सूरज को सभी सलाम करते हैं। धीरे-धीरे हालत बदले पार्टी के प्रति लोगों की निष्ठाएं कम होती चली गईं और एक दौर ऐसा आया कि उत्तराखंड में पार्टी का ग्राफ शून्य पर पहुंच गया। जहां कांग्रेस की तूती बोलती थी। वहीं आज नैनीताल लोकसभा जैसी महत्वपूर्ण सीट पर चुनाव लड़ाने के लिए एकाद कद्दावर नाम को छोड़ कोई दूसरी शख्सियत तक नहीं है। कड़वी सच्चाई यह है कि उस दौर के मुकाबले आज की कांग्रेस यहाँ ‘बैसाखियों’ पर है।

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कांग्रेस कार्यालयों पर लगता था मेला

जब प्रदेश में कांग्रेस का दौर था तब हल्द्वानी में पार्टी कार्यालय पर चुनावी बेला में मेले जैसा माहौल हुआ करता था। रात रात भर आंकड़ों की बाजीगरी में नेता उलझे रहते थे। हल्द्वानी में कांग्रेस कार्यालय इतना एक्टिव था कि कोई फरियादी जब भी अपनी फरियाद लेकर आता था तब उसका आवेदन पत्र सीधे जिला प्रशासन को भेज दिया जाता था। साथ ही सम्बन्धित अधिकारी से समय समय पर इसकी समीक्षा की जाती थी। यहां हर फरियादी की टेलीफोन कॉल अटेंड की जाती थी।

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