ख़बर शेयर करें -

देहरादून। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के गठन के बाद भी उत्तराखंड आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूडीएमएमसी ) को भंग नहीं किया गया। इसके पीछे जो कारण सामने आए है, वह चौंकाने वाले है। कुछ माह पहले हुई राज्य कार्यकारी समिति की बैठक में सचिव ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2001 में गठन के बाद से 2019 में विघटन के आदेशतक डीएमएमसी में कई प्रकार की वित्तिय अनियमितताएं हुई। इन अनिमितताओं की जांच और कार्रवाई जरूरी है। मुख्य सचिव के आदेश के बाद भी कार्रवाही के स्तर पर विभाग के हाथ खाली है। 24 जनवरी 24 को मुख्य सचिव एसएस संधू की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत सिन्हा ने बताया कि वर्ष 2001 में स्थापना से वर्ष 2019 तक डीएमएमसी कई तरह की वित्तिय अनियमितताएं हुई। उन्होंने कहा कि डीएमएमसी के 7 कर्मचारियों के द्वारा बिना वित्त विभाग से अनुमोदन प्राप्त किये एल.आई.सी की ग्रेच्यूटी स्कीमली गयी थी। मात्र 3 वर्ष के बाद ही इसे बंद कर दिया गया। उक्त पॉलिसी में जमा धनराशि को आहरित करते हुए संबंधित कर्मचारियों में 38.26.855/ को वितरित कर दिया गया। इसी तरह डीएमएमसी के खाते में विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त धनराशि रू.7,92.040/- को उक्त कर्मचारियों में वितरित किया गया तथा उक्त वितरित धनराशि का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। यू.एन.डी.पी. परियोजना के तहत प्राप्त 6,23,90,513 रूपये की धनराशि के खर्च के सम्बंध में कोई भी विवरण /रिकॉड उपलब्ध नहीं है। फिल्म निर्माता महेश भट्ट को साइलेंट हीरों फिल्म बनाने के लिए 50 लाख भुगतान किया गया। जिसके सम्बन्ध में कोई पत्रावली था फिल्म निर्माता का रिकॉड उपलब्ध नहीं है। यह भी अवगत कराया गया कि वर्ष 2013 में केदारनाथ में घटित आपदा के दौरान राहत एवं खोज-बचाव/ निरीक्षण आदि से संबधित अधिकारियों/ विशेषज्ञों/ कर्मिकों के विश्राम गृहों/होटलों में अतिथ्य एवं विश्राम सम्बंधी व्यवस्थाओं के सापेक्ष रू 82,92,000/- का भुगतान किया गया है, किन्तु भुगतान के सापेक्ष आगन्तुकों का विवरण/ अभिलेख विभाग में उपलब्ध नहीं है। सचिव ने इस तरह की कई और अनियमितताओं का खुलासा किया है। मुख्य सचिव ने सभी संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों से जवाब तलब करने और सभी मामलों में विधिक सलाह लेने को कहा था। आपदा प्रबंधन सूत्रों की मानें तो नोटिस का जवाब देने और संभावित कार्यवाही से बचने के लिए विभाग के कई अधिकारी-कर्मचारी इस्तीफा दे चुके है। हालांकि इसके बावजूद शासन के स्तर पर संबंधित मामलों की त्वरित जांच और कार्रवाई नहीं की जा रही है।

Advertisement
Ad Ad Ad Ad Ad Ad
यह भी पढ़ें 👉  डंपरों की भिड़ंत से लगी आग में चालक जिन्दा जला

Comments

You cannot copy content of this page