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‘इंडिया’ गठबंधन में फिर कांग्रेस-सपा आमने-सामने
राजेश सरकार
हल्द्वानी: अलग-अलग विचारधाराओं के 28 दलों को लेकर बनायी गई सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी इंडिया (भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन) का आपसी सहमति का एजेंडा लोकसभा व विधानसभा चुनावों में तो परवान नहीं चढ़ सका, अब निकाय चुनावों में भी यह एजेंडा धराशायी हो गया है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर मेयर पद के लिए कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जबकि सपा इंडिया गठबंधन के सहयोगी घटक दलों में शामिल है। इससे वोटों की खींचतान का खामियाजा एक पार्टी को उठाना पड़ सकता है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि ‘इंडिया’ गठबंधन में यह तय हुआ था कि गठबंधन के घटक दल आपसी सहमति के बाद ही प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे। हालांकि, यह फार्मूला केवल राष्ट्रीय स्तर के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए था। स्थानीय स्तर पर निकाय चुनावों के लिए कोई मसौदा तय नहीं किया गया था। इसके परिणामस्वरूप, अब ‘इंडिया’ के घटक दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं।
उत्तराखंड में निकाय चुनावों के लिए कैलेंडर जारी हो चुका है, और प्रदेश के 11 निगमों के लिए 23 जनवरी को मतदान होना है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने प्रदेश के सभी निगमों में मेयर की सीट पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं, वहीं ‘इंडिया’ गठबंधन के घटकों में शामिल समाजवादी पार्टी ने हल्द्वानी, काशीपुर, रुद्रपुर और गढ़वाल की कुछ चुनिंदा सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं।
यह आपसी सामंजस्य की कमी या दोनों दलों की अति महत्वकांक्षा का परिणाम है, क्योंकि अब कांग्रेस और सपा के प्रत्याशी एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। इसका परिणाम यह हो सकता है कि इन दलों के वोटों का बंटवारा भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में जाएगा। इस तरह, पार्टियों के आपसी समन्वय की कमी से मेयर पद की बाजी उनके हाथ से निकलती दिख रही है.
सपा ही क्यु कुर्बानी दे : मतीन
इस पूरे मामले में समाजवादी पार्टी प्रदेश प्रभारी अब्दुल मतीन सिद्दीकी का कहना है कि इस सम्बन्ध में कांग्रेस को आगे आकर बात करनी चाहिए थी पर उसने ऐसा कुछ बाद किया। यदि वह इस मसले पर बात करती तो उस पर विचार किया जा सकता था। मतीन का कहना था कि
हर बार सपा ही क्यु कुर्बानी दे।
अभी देर नहीं हुई है: रावत
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि वे इस मसले पर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से बात करने जा रहे है। उनका कहना था कि सपा गठबंधन का हिस्सा है इसलिए बात की जानी चाहिए, इस मसले पर पहले विचार नहीं हो पाया यहाँ जरूर चूक हुई है। पर अभी भी देर नहीं हुई है।
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