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पंचायत राज निदेशक ने पकड़ी कई अनियमितताएं

देहरादून। जिला पंचायत राज अधिकारी की नाक तले बहुत कुछ गोलमाल चल रहा था। एकाध मामले में तो खुद ही मुजरिम और खुद ही मुंसिफ थे। उनके कारनामे पंचायत राज निदेशक की पकड़ में आ गए और उन्हें मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है। उनसे 7 दिनों के भीतर आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा है और बताया जा रहा है कि उन पर निलंबन की कार्रवाई हो सकती है। फिलहाल अग्रिम आदेशों तक जिला पंचायत राज अधिकारी का प्रभार सहायक जिला सहायक पंचायतीराज अधिकारी संजय प्रकाश बडोनी को सौंपा गया है।  
जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) विद्या सिंह सोमनाल पर लगाए गए आरोपों की फेहरिस्त में पहला आरोप डोईवाला में पंचायतों के परिसीमन में गड़बड़ी से जुड़ा है। इस मामले में डोईवाला में सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) पद पर तैनात रहे राजेंद्र सिंह गुसाईं पर तथ्यों से छेड़‌छाड़ करने, अधिकारी को गुमराह करने और सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना परिसीमन में हेरफेर आदि के आरोप लगे। जिलाधिकारी के आदेश पर सहायक विकास अधिकारी राजेंद्र सिंह के विरुद्ध विद्या सिंह सोमनाल ने 07 अक्टूबर को डालनवाला थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी।
निदेशक, पंचायतीराज निधि यादव ने पाया कि परिसीमन की प्रक्रिया के लिए शासन की ओर से गठित समिति में डीपीआरओ सदस्य एवं सचिव के रूप में नामित हैं। इसके बाद भी प्रस्तावों के अनंतिम प्रकाशन से पूर्व डीपीआरओ के रूप में स्वयं विद्या सिंह ने तथ्यों का परीक्षण नहीं किया।
सहायक विकास अधिकारी राजेंद्र सिंह गुसाई पर ग्राम पंचायतों में साइन बोर्ड लगाने के कार्यों में अधिप्राप्ति नियमावली के उल्लंघन के आरोप भी लगे हैं। साइन बोर्ड लगाने के कार्य ग्राम प्रधान/ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ने किए हैं और 2700 रुपये प्रति साइन बोर्ड के हिसाब से भुगतान भी उन्हीं के माध्यम से किया गया।
इस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए निदेशक ने कहा कि या तो डीपीआरओ को विधि स्थापित नियमों की जानकारी नहीं है या उन्होंने जानबूझकर इस अनियमितता पर आंखें मूंद ली। यदि ऐसा नहीं है तो क्यों सहायक विकास अधिकारी और अन्य पर कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई।
डोईवाला के प्रतीतनगर वार्ड 05 के सदस्य आशीष जोशी ने जुलाई 2024 में गांव में विकास कार्यों में अनियमितताओं की शिकायत की थी। इस मामले में डीपीआरओ ने राजेंद्र सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया, और जांच रिपोर्ट 30 अगस्त को विद्या सिंह को सौंपी गई। लेकिन विद्या सिंह ने इस रिपोर्ट को दबा दिया और कोई कार्रवाई नहीं की।
 

 

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