सरोवर नगरी में अंधाधुंध निर्माण बन रहा नैनीताल के लिए बड़ा खतरा
हल्द्वानी। सरोवर नगरी नैनीताल अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात है, लेकिन यहां लगातार हो रहे भारी भरकम निर्माण कार्यों ने इसके अस्तित्व के लिये ही खतरा पैदा कर दिया है। भूवैज्ञानिकों का साफ कहना है कि नैनीताल की संवेदनशील पहाड़ियों पर यदि अंधाधुंध निर्माण को तत्काल नहीं रोका गया तो नैनीताल में 1880 जैसी भूस्खलन की घटना की पुनरावृति होने से कोई नहीं रोक पायेगा। भूवैज्ञानिकों की लगातार चेतावनियों के बावजूद नैनीताल में न तो निर्माण कार्यों की रफ्तार ही कम हो पायी है और न ही वाहनों का बढ़ता दबाब, इन परिस्थितियों में ऐसा न हो कि जिस नैनीताल पर आज उत्तराखंड रंज करता है उसी की अनदेखी नैनीताल के ताबूत की आखरी कील साबित हो सकती है। नैनीताल में लगातार हो रहे निर्माण कार्यों को लेकर भूवैज्ञानिक व पर्यावरणविंद लम्बे समय से आगाह करते आ रहे है। उनका कहना है कि नैनीताल की पहाड़िया बेहद संवेदनशील है, जो लगातार हो रहे निर्माण कार्यों का भार वहन करने में असमर्थ है, ऐसे में शहर में लगातार हो रहा अवैध निर्माण किसी भी बड़ी घटना को बुलावा देना है। इसके अलावा सन् 2007-2008 में रूड़की आई.आई.टी. से आयी विशेषज्ञों की टीम ने भी नैनीताल में अंधाधुंध निर्माण कार्यों को खतरनाक करार दिया था। टीम विशेषज्ञों का कहना था कि नैनीताल ग्रेनाइट की चट्टानों के उपर बसा है, अत्यधिक भार पड़ने से ग्रेनाइट भूर-भूरे के पाउडर में तब्दील हो जाता है जिसके चलते भूस्खलन जैसी घटनायें घटित हो सकती है। आज तक आती जाती सरकारों ने तो नैनीताल की संवेदनशीलता को महसूस नहीं किया लेकिन सन् 1880 में नैनीताल में हुये भूस्खलन की घटना से तत्कालीन ब्रिटिश कुमाऊं कमिश्नर ने सबक लेते हुये उस दौर में नैनीताल में 68 नालों का निर्माण कराया था। जिन्हें शहर की लाइफ लाइन कहा जाता था, बताया जाता है कि बारिश के दिनों में अतिरिक्त पानी इन नालों के जरिये शहर से बाहर चला जाता था। आजादी के बाद शहर में निर्माण कार्यों की बढ़ती तादाद व अतिक्रमण के चलते अग्रेजों की बनायी यह व्यवस्था ध्वस्त हो गयी। बीते कुछ सालों में ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह ठप्प होने से शहर में सड़क के धसने की घटनायें भी सामने आयी, लेकिन प्रशासन उसके बाद भी नहीं चेता। अब एक बार फिर भूवैज्ञानिक भाष्कर दत्त पाटनी ने नैनीताल शहर को लेकर चेताया है। उनका भी यही मानना है कि नैनीताल की पहाड़ियां बेहद संवेदनशील है और जिनकी भार वाहक क्षमता पूरी हो चुकी है, ऐसे में शहर में बनने वाली हर बहुमंजिला इमारत खतरे को बुलावा दे रही है। हालांकि शहर में अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने को लेकर जिला विकास प्राधिकरण के नाम से पूरा महकमा अस्तित्व में है। लेकिन इस सब के बावजूद शहर में अवैध निर्माण का कार्य पूरे जोरों पर है। कार्रवाही के नाम पर विभाग द्वारा महज खानापूर्ति कर अपने कार्यों की इतिश्री कर ली जाती है। बहरहाल यदि नैनीताल को बचाना है तो शासन प्रशासन को भी भूवैज्ञानिकों व पर्यावरणविदों की शहर को बचाने को लेकर दी गयी सलाहों पर अमल करना होगा, साथ ही आमजन को भी इसके लिये जागरूक करना होगा।