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परवान चढ़ता प्रस्ताव तो स्ट्रीट बारों से मिलती जनता को मुक्ति

ब्यूरों रिपोर्ट
हल्द्वानी।
कुमाऊँ के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले हल्द्वानी शहर की वर्कशाप लाईन कभी ट्रको की बॉडी बनाने के लिए पूरे उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में भी मशहूर हुआ करती थी। हर रोज यहां पहाड़ से लेकर प्लेन्स (मैदानी क्षेत्रों) से व्यापारी अपने वाहनों की मरम्मत के लिए यहां आते थे। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद एनडी तिवारी सरकार में इस मार्किट (वर्कशाप लाईन) को शहर के बीचो बीच से शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया और यहाँ के दुकानदारों को रामपुर रोड़ स्थित ट्रांसपोर्ट नगर का निर्माण करा वहां शिफ्ट कर दिया गया। प्रदेश की पहली निर्वाचित कांग्रेस की सरकार में सैकेंड मुख्यमंत्री का रुतबा रखने वालीं तत्कालीन काबीना मंत्री डॉ इंदिरा हृदयेश ने उस समय वर्कशाप लाईन में मंगलपडाव बाजार में लगने वाले फूल मार्किट को शिफ्ट करने का निर्णय लेते हुए एक प्रस्ताव संबंधित विभाग के समक्ष रखा या यू कहे कि इसे तकरीबन-तकरीबन पास भी करा दिया गया था। लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद य़ह प्रस्ताव परवान नहीं चढ़ सका। जिस वर्कशाप लाइन में फूल बाजार बनाकर सुगंध बिखेरने की योजना बनाई गई वह तो परवान नहीं चढ़ सकी, अलबत्ता यहां शाम को सजने वाले ठेला रूपी स्ट्रीट बारोें ने यहां की फिजा में शराब की दुर्गध अवश्य घोल दी है। बता दे कि इस शराब कल्चर से यहां का माहौल तो खराब हो ही रहा है साथ ही इसके ठीक सामने बनी वन विभाग की कॉलौनी में रहने वाले परिवारों के लिये भी ये ठेला रूपी स्ट्रीट बार मुसीबत का सबब बने हुये है। यहां बता दे कि पूर्व विधायक व काबीना मंत्री रही स्व. डॉ इंदिरा हृदयेश की वर्कशाप लाइन को फूल बाजार में तब्दील करने की योजना थी। वे मंगलपड़ाव में लगने वाले फूल बाजार को यहां स्थानांतरित करना चाहती थी इसके लिये उन्होंने एक प्रस्ताव बनाकर भी सरकार के पास भेजा, लेकिन इससे पहले की प्रस्ताव को सरकार की मंजूरी मिलती प्रदेश सरकार का कार्यकाल समाप्त हो गया और उनकी यह महत्वपूर्ण योजना परवान नहीं चढ़ सकी। यदि उनकी यह योजना समय रहते पूरी हो जाती तो आज वर्कशॉप लाइन की कुछ और ही बात होती। फूलों से सजी दुकानों व उन से हवा में फैलती भिनी-भिनी सुगंध से वातावरण सुसज्जित रहता और आज ठेलो-दुकानों में सज रहें स्ट्रीट बारों से भी जनता को मुक्ति मिलती।

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