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नियम कायदों को ताक पर रख चल रहे कोचिंग सेंटर, विद्यार्थियों की सुरक्षा से हो रहा खुला समझौता
कोचिंग सेंटरों में विद्यार्थियों को नहीं मिल रही जरूरी सेवाएं और सुविधाएं
शासन और स्थानीय प्रशासन के स्तर पर अनियमितता बरतने वाले सेंटरों पर नहीं हो रही कार्रवाई

ब्यूरो रिपोर्ट

हल्द्वानी। शहर में संचालित हो रहे कोचिंग सेंटर नियम-कायदों को ताक पर रख कर चल रहे हैं। इन कोचिंग सेंटरों में विद्यार्थियों से मोटी फीस वसूलने के बाद भी उनकी सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त नहीं हैं। सबसे अहम सुरक्षा बंदोबस्त तो दूर की बात कोचिंग संचालन के लिए आवश्यक सेवाएं और सुविधाएं तक मौजूद नहीं हैं। विद्यार्थियों की सुरक्षा और जरूरी सेवाओं और सुविधाओं के इस अहम मुद्दे पर सरकार से लेकर शासन-प्रशासन तक मौन है। अब तक शासन या फिर स्थानीय प्रशासन के स्तर पर नियम-कायदों को ताक पर रख कर चले रहे इन कोचिंग संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इन हालातों में कोचिंग सेंटरों में तैयारी कर रहे विद्यार्थियों की सुरक्षा और सुविधाओं से खुलेआम समझौता किया जा रहा है। पिछले दिनों दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर में लगी आग के बाद यह मुद्दा फिर से प्रासंगिक हो उठा है।
हल्द्वानी में वर्तमान समय में छोटे-बड़े तकरीबन 40 से अधिक कोचिंग सेंटर नियम-कायदों के खिलाफ धड़ल्ले से चल रहे हैं। दिनोंदिन कोचिंग सेंटरों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ये कोचिंग सेंटर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के साथ ही हायर सेकेंडरी परीक्षाओं की तैयारी भी कराते हैं। वर्तमान में इन सेंटरों में हजारों की संख्या में विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इसके इतर कोचिंग सेंटरों में विद्यार्थियों की सुरक्षा, उन्हें दी जानी वाली सेवाओं और सुविधाओं का खुलकर मखौल उड़ाया जा रहा है। कोचिंग सेंटर नियम-कायदों और विद्यार्थियों को मिलने वाली सेवाओं और सुविधाओं से खुलेआम समझौता कर रहे हैं। अधिकांश कोचिंग सेंटर व्यवसाय के जरूरी नियम-कायदों के खिलाफ चल रहे हैं। मानकों के खिलाफ बने भवन और इमारतों में कोचिंग सेंटर चलाए जा रहे हैं। इन सेंटरों में अग्निशमन यंत्रों और आग पर काबू पाने के पूरे बंदोबस्त नहीं हैं। प्रवेश और निकासी के रास्तों और सेंटरों के हर कक्षों में सीसीटीवी तक नहीं हैं। छात्र और छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है। इन कोचिंग सेंटरों में उचित प्रकाश और हवा की भी व्यवस्था नहीं है। सेंटरों में फर्नीचरों की भी कमी है। अधिकांश कोचिंग सेंटरों में पार्किंग की भी व्यवस्था नहीं है। इससे मुख्य सड़क और संपर्क मार्गों में वाहनों और स्थानीय लोगों की आवाजाही भी प्रभावित हो रही है। शहर की मुख्य सड़कों पर जाम भी लगता है।

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राज्य में कोचिंग सेंटरों पर शिकंजा कसने के लिए नीति तक नहीं

हल्द्वानी। उत्तराखंड में कोचिंग सेंटरों पर शिकंजा कसने के लिए नीति तक नहीं है। ऐसे में कोचिंग सेंटर संचालक इसका बखूबी फायदा उठा रहे हैं। उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। जबकि उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड राज्य के पड़ोसी राज्य में उत्तर प्रदेश कोचिंग विनियम एक्ट है। राज्य में कोचिंग सेंटरों के संचालन और व्यवस्थाओं को लेकर कानून के अभाव में सबसे बड़ा खतरा विद्यार्थियों पर मंडरा रहा है। इन विद्यार्थियों के अभिभावक संचालकों को मोटी फीस चुकाते हैं। इसके बावजूद संचालक आवश्यक सेवाओं और सुविधाओं की उपलब्धता तो दूर सुरक्षा बंदोबस्तों की भी खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं। क्रमशः

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