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सुरक्षा पहलुओं पर जेल प्रशासन को मुख्यालय से निर्देश

देहरादून। लोकसभा चुनाव के दौरान सुरक्षा पहलुओं से जेलों में बंद कैदियों की दूसरी जेलों में शिफ्टिंग पर रोक रहेगी, साथ ही इस बात का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है कि जेल के अंदर किसी तरह की राजनीतिक परिचर्चा न हो। इसके अलावा मुलाकातियों पर भी विशेष निगरानी बढ़ा दी गई है। ये तमाम निर्देश मुख्यालय की ओर से जेल प्रशासन को भेजे गए है। तमाम व्यवस्थाओं को सुनिश्चित कराने के लिए जेल प्रशासन भी सतर्क हो गया है। लोकसभा चुनाव के लिए जल्द आचार संहिता लगने वाली है। तमाम राजनीतिक पार्टियां पूरा जोर लगा रहीं है। इस बीच पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के लिहाज से पुख्ता इंतजाम करने शुरू कर दिए है। स्थानीय पुलिस के साथ अर्द्धसैनिक बल भी फ्लैग मार्च कर लोगों से निर्भीक और निष्पक्ष होकर मतदान करने की अपील की जा रही है। इस सबके बीच जेल प्रशासन को भी मुख्यालय की ओर से निर्देश जारी किए गए। जिसमें कहा गया है कि इस बात का विशेष ख्याल रखा जाए कि जेल के अंदर कैदियों के बीच राजनीतिक परिचर्चा न हो। इस निर्देश का मकसद है कि इससे विवाद की स्थिति ना बने। साथ ही मुलाकातियों पर निगरानी बढ़ाई गई है। किस बंदी और किस कैदी से कौन-कौन मिलने आ रहा है। परिवार सदस्य के अलावा यदि कोई अन्य व्यक्ति कैदी से मिलने आ रहा है तो उसका मिलने के पीछे क्या मकसद था। महत्वपूर्ण निर्देश इस बात को लेकर भी है कि एक जेल से दूसरी जेल में किसी कैदी को शिफ्ट नहीं किया जाएगा।

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मोबाइल का न हो प्रयोग

इन दिनों उत्तराखंड की जेलों में कई कुख्यात अपराधी भी बंद है। प्रकाश पांडे ऊर्फ पीपी, चीनू पंडित, सुनील वाल्मीकि, सुनील राठी, प्रवीन वाल्मीकि सहित अन्य राज्यों की अगल-अगल जेलों में है। चुनाव के मद्देनजर इस बात को भी पुलिस ने सुनिश्चित करना है कि मोबाइल का इस्तेमाल न हो सके। क्योंकि पूर्व में कई बार जेलों में मोबाइल की शिकायतें और मामले उजागर हो चुके है। आशंका जताई जाती है कि स्मार्ट मोबाइल फोन की मदद से जेल में बंद कैदी सोशल मीडिया और इंटरनेट कॉलिंग से अपना नेटवर्क चला सकते है। जिससें कई अपराध होने और रंगदारी मांगने जैसी घटनाएं हो सकती हैॅ।

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